जिला ललितपुर, ब्लाक महरौनी, गांव खटोरा की रसोईयन को पिछले आठ महीना से नइ मिल रई वेतन।
लाड़कुवर ने बताई के हम छह साल से खाना बना रए। पांच साल के तो मिल गये जा साल के नइ निकरे।
प्रताप सिंह ने बताई के ग्यारह महीना से नइ मिले हमाय रुपईया। सात महीना हमाई मताई ने भी काम करो। हमाई मताई ने मासाब से कई के हमाय रुपईया निकरवा दो हमे रुपईयन की जरुरत हे। तो मासाब एक बार भी देखबे नइ आय। हमाय घर से तीस रुपईया दिन मिलत। और छह महीना हमाई पत्नी को हो गए इतने दिन हम कैसे काम करे फ्री फंड में एक दिन के तीस रुपईया में आदमी को काम चलत रोटी पानी को लेकिन जब बेई न मिले तो का फायदा।
राजा बेटी ने बताई के तीस रुपईया में का फायदा हे हमाय छोटे छोटे मोड़ी मोड़ा हे पूरो दिन लग जात हम उन्हें छोड़ के जात और रुपईया न मिले तो का करे। पुल्वाबाई ने बताई के हमने अगस्त से खाना बनाओ तो और अब जो फरवरी लग गई लेकिन अबे रुपईया नइ मिले। हमाओ आदमी ख़त्म हो गओ हमाय छोटे छोटे मोड़ी मोड़ा हे।
मालती ने बताई के हमने आशाढ़ से बनाओ तो प्राइमरी स्कूल में खाना।
छिमाघर प्रधान ने बताई के एक साल नइ भइ दो तीन महीना के नइ आय। चेक तो मासाब बनात हम तो मुहर लगात। और जीको पांव टूट गओ तो हमने बिने रुपईया भी दे दए ते। के चेक बाद में आ जेहे तुम अपनों काम कर लो।
रिपोर्टर- सुषमा
06/02/2017 को प्रकाशित