ललितपुर जिले के महरौनी ब्लॉक के रमेशरा गाँव में रोजगार की कमी के चलते लोग बबूल की फलियाँ बीनने का काम करते हैं. ये बबूल की फलियाँ कई तरह की दवाईयां बनाने के काम आती हैं. यहाँ के सूखे क्षेत्र में होने वाला ये बबूल गाँव के कई लोगों को रोजगार दे रहा है.
इस बारे में गाँव की रामा ने बताया कि ‘क्या करें और गरीब का खर्चा कैसे निकलें. यहाँ कोई रोजगार ही नहीं, मज़बूरी में ये काम करना पड़ता है.’
वहीँ, नेहा ने बताया कि वो अपनी छोटी उम्र में भी पिछले तीन सालों से रोजाना दिन में तीन बार बबूल की फलियाँ बीनने जाती हैं. नेहा रोजाना करीब तीन से चार किलों फलियाँ बीन लेती हैं.
लीला ने बताया कि पहले हम बीनते हैं फिर उन्हें बाजार में बेचने जाते हैं. बाजार में इनका दाम सात से आठ रुपयें किलो है.
लोगों का कहना था कि यहाँ रोजगार देने वाली मनरेगा योजना गाँव के लोगों को काम नहीं दे पा रही है. जिसकी वजह से गाँववासी फलियाँ बीन कर अपना घर चला रहे हैं.
रामसेवक पिछले 30-31 साल से फलियाँ बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहाँ मनरेगा का काम नहीं है न प्रधान ही कोई काम देता है.
जबकि गाँव में मनरेगा योजना के तहत काम न होने की बात प्रशासन नहीं मानता.
वहीँ, इस बारे में प्रधान शेलेन्द्र प्रताप सिंह का कहना था कि ‘रोजगार नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं”…यहाँ मनरेगा का काम पिछले छह महीनें से नहीं है, काम है तो सरकार की तरफ से पैसे नहीं मिलते. इसके अलावा जिन लोगों को जो पसंद आता है वो वही काम करते हैं.
जबकि ललितपुर के बीडीओ अजय कुमार शर्मा ने बताया कि ‘हम यहाँ मजदूर ढूढ़ते हैं और कोई मिलता नहीं है, काम है क्यों नहीं है, लेकिन करने वाले भी तो हों….यहाँ कोई काम करने आता ही नहीं…हम तो परेशान है कि कोई नहीं मिलता, बाकी जिसको काम से जुड़ी कोई दिक्कत हो वो बताये‘…
रिपोर्टर: सुषमा
Published on May 25, 2018