चाहे जदयू पार्टी हो चाहे भाजपा या कोई भी पार्टी के लोग। हर महिना में त नेता सब रैली ही निकालई छथिन। ओई रैली में लाखों, कड़ोरो रूपईया खर्चा होई छई। लेकिन ओई रूपईया के कोनों महत्व न हई। रूपईया के साथ जान भी लोग के मारल जाई छई।
कयला कि अभी हाल फिलहाल में पंचायती राज अधिकार रैली में लोग पटना गेलथिन। ओहू में त सीतामढ़ी जिला के रीगा प्रखण्ड के वार्ड सदस्य के मौत हो गेलई। उनका देखे वाला कोनो लोग न छथिन। एकरा बाद हुंकार रैली पटना गाँधी मैदान में बम विस्फोट में भी कतेक जनता अउर पुलिस कर्मी घायल भेल रहथिन, कतेक के जान खतरा में परल रहई, कुछ लोग के मौत भी हो गेलई। एकर जिम्मेवार कोन लोग छथिन। अगर जेतना रूपईया रैली में गाड़ी भाड़ा से लेके अन्य खर्चा तक करई छथिन। अगर उ रूपईया के अपना राज्य या जिला में कारखाना बनवा देइतथिन त कतेक जनता लोग बेरोजगार छथिन त उनका सब के रोजगार मिल जतियई। एई बात पर भी विचार नेता से लेके अधिकारी लोग के करे के चाहि। और सरकार के भी सोचे के चाहि कि रैली से राज्य के विकास होतई, कि आम जनता के रोजी -रोटी अउर काम से।
रैली के जिम्मेवार कोन छथिन
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