रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में अपना पदभार सम्भाल चुके हैं। वह देश के दूसरे दलित समुदाय से आने वाले राष्ट्रपति हैं। इसके पहले के आर नारायणन दलित समुदाय से आने वाले पहले राष्ट्रपति रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने उन्हें शपथ दिलाई। इसके बाद सम्मान में उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई।
देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने शपथ ग्रहण के बाद लोगों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने अपने राष्ट्रपति चुने जाने पर आभार जताते हुए कहा, हमारी सेना, पुलिस और किसान राष्ट्र की निर्माता है। वैज्ञानिक, शिक्षक, युवा और महिलाएं राष्ट्र की निर्माता हैं। हमें देश संस्कृति, परम्परा और अध्यात्म पर गर्व है।
उन्होंने आगे कहा, विचारों का सम्मान लोकतंत्र की खूबी है। हमारी विविधता ही हमें महान बनाता है। हम बहुत अलग हैं लेकिन फिर भी एक है और एकजुट हैं।
वहीं, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 24 जुलाई को राष्ट्र के नाम अपने अंतिम संबोधन में देश की सहिष्णुता, बहुलवाद और अहिंसा की शक्ति की बात की। मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है। उन्होंने कहा, ‘हम एक–दूसरे से तर्क–वितर्क कर सकते हैं, सहमत–असहमत हो सकते हैं, लेकिन विविध विचारों की मौजूदगी को हम नकार नहीं सकते।‘ उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता ही देश की पहचान है।
देश के 13वें राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, ‘विभिन्न विचारों को ग्रहण करके हमारे समाज में बहुलतावाद का निर्माण हुआ है। हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है। प्रतिदिन हम आसपास बढ़ती हुई हिंसा को देखते हैं तो दुख होता है। हमें इसकी निंदी करनी चाहिए। हमें अहिंसा की शक्ति को जगाना होगा। महात्मा गांधी भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखते थे जहां समावेशी माहौल हो। हमें ऐसा ही राष्ट्र बनाना होगा।‘