उत्तर प्रदेश। राज्य में चैंतिस जिलों के सत्र न्यायालय में काम कर रहे वकील पिछले दो हफ्तों से धरने पर बैठे हैं। 1 मई 2014 से कोर्ट का समय बदलने को लेकर वकीलों की हड़ताल से वादकारियों को खासी परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है।
वकीलों की मांग है कि जिले स्तर पर कोर्ट के लिए वही नियम होने चाहिए जो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होते हैं। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गर्मी और ठंड में एक-एक महीने की छुट्टी भी रहती है पर जिलों में वकीलों के लिए ऐसे कोई नियम नहीं हैं। साथ ही इस समय जब गर्मी बढ़ती जा रही है, वकीलों की मांग है कि कम से कम कोर्ट का समय जल्दी का कर दिया जाए पर इस पर भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
जिला महोबा। यहां के राकेष ओर देवेन्द्र पटेरिया (एडवोकेट) कहते हैं कि अगर काम पर इतना ही ध्यान दिया जाता है तो हाई कोर्ट को गर्मी में छुट्टी क्यों दी जाती हैं? विनोद कुमार सोनी (एडवोकेट) ने कहा कि अगर हम ऐसी गर्मी में काम करेगे तो काम करने के लिए जि़ंदा ही नहीं रहेंगे।
बुन्देलखण्ड। यहां के सात जिलों के वकील भी इस हड़ताल में जुड़े हैं।
जिला महोबा के अधिवक्ता समिति के महामंत्री प्रभात कुमार सुल्लेरे ने बताया कि पहले हर साल गर्मी के महीने में 1 मई से 1 जुलाई तक कोर्ट का समय सुबह साढ़े छह से दोपहर साढ़े बारह बजे कर दिया जाता था पर इस साल मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट का समय नहीं बदला। हमने महोबा में 13 मई 2014 को एक मीटिंग करके सबकी राय मांगी। उन्होंने कहा कि यदि 30 मई के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया तो हम अनिष्चितकालीन हड़ताल करेंगे।