राज्यसभा के लिए सात राज्यों की सीटों पर हुए मतदान का परिणाम आ चुका हैं। कुल 57 राज्यसभा सीटों में से 30 पर फैसला बिना मतदान के हो चुका है, लेकिन बाकी 27 पर वोटिंग के बाद फैसला आया है।
मध्यप्रदेश से भाजपा उम्मीदवार एम.जे. अकबर और अनिल माधव दवे ने राज्यसभा चुनाव जीता लिया, दोनों को 58-58 वोट मिले।
कांग्रेस समर्थित विवेक तनखा को 62 वोट मिले, उनके खिलाफ खड़े विनोद कोटिया को 50 वोट मिले और वो हार गए।
कर्नाटक से भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, ऑस्कर फर्नांडिस और केसी रामामूर्ति राज्यसभा के लिए चुने गए।
हरियाणा से बीजेपी उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री चैधरी बीरेंद्र सिंह और बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा ने भी राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज की है।
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के सातों उम्मीदवार बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, संजय सेठ, सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह, विशम्भर प्रसाद निषाद और सुरेंद्र नागर राज्यसभा चुनाव जीत गए हैं।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव जीत गए हैं। बीएसपी के हिस्से दो सीटें आई और सतीश चंद्र मिश्र और अशोक सिद्धार्थ चुनाव जीत गए, जबकि बीजेपी एक प्रत्याशी शिवप्रताप शुक्ला ही चुनाव जीत पाए।
झारखंड से बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी चुनाव जीते। दूसरी सीट पर अब भी संशय बरकरार है।
उत्तराखंड में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टमटा को जीत मिली है। टमटा की जीत पहले से ही सुनिश्चित मानी जा रही थी, उन्हें अपनी पार्टी के 26 वोटों के अलावा सहयोगी पीडीएफ से भी समर्थन का आश्वासन मिला था।
राजस्थान से वेंकैया नायडू और ओपी माथुर सहित बीजेपी के चारों उम्मीदवार जीते। राज्य में 24 विधायकों के साथ कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार कमल मोरारका को समर्थन देकर मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश की। लेकिन राज्य से एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए थे, जो आंकड़ा कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार नहीं जुटा पाए।
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को हुआ फायदा!
हरियाणा की राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में मुकाबला भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा और इनेलो समर्थित आरके आनंद के बीच था। इसमें चंद्रा की जीत हुई। हालांकि विपक्षी दलों की ओर से चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगे। साथ ही मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई।
राज्यसभा चुनाव में रिटर्निंग अधिकारी व विधानसभा के सचिव आरके नांदल ने कहा है कि वोटिंग के दौरान पेन के रस्सी से बंधे होने की वजह से इसके बदलने की आशंका काफी कम है। चुनावी प्रक्रिया की विडियोग्राफी में यह भी साफ हो गई है कि किसी विधायक ने मतदान के लिए निर्धारित से अधिक वक्त नहीं लगाए। ऐसे में पेन बदलने की थ्योरी पर मैं कुछ नहीं कह सकता। चुनाव में पेन की स्याही के रंग, निशान बदलने और अन्य दूसरे वजहों से 14 वोट निरस्त किए गए। साफ है कि निरस्त किए जाने वाले वोट अलग-अलग कारणों से निरस्त किए गए। नांदल ने कहा कि मतदान के दौरान असिस्टेंट रिटर्निंग अधिकारी भी मौजूद थे। मतदान के लिए निर्धारित स्केच पेन और स्याही के रंग के बारे में सभी विधायकों को चुनाव से पहले ही जानकारी दे दी गई थी। स्केच पेन (बैगनी स्याही वाले) के अलावा दूसरे पेन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। वोटिंग से पहले सभी से मोबाइल फोन व पेन ले लिए गए थे। कहां, कैसे, किससे और क्यों गलती हुई, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है।
आरके नांदल ने कहा कि चुनाव के शुरुआती दौर में एक पेन मिला था, जिसे तुरंत हटा दिया गया। उस वक्त तक महज पांच-छह वोट ही पड़े थे।