अब राजनीतिक दलों को औद्योगिक घरानों से मिलने वाले चन्दे और सभी तरह के खर्चों की जानकारी देनी होगी।
सूचना आयोग ने 3 जून को आदेश दिया कि देश के सभी राजनीतिक दल सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आयेंगे। इस कानून के लिये काम कर रहे सुभाष चन्द्र अग्रवाल और अनिल बैरवाल ने सूचना आयोग में इस बारे में एक यचिका लगायी थी। 6 सितम्बर 2011 को सुभाष चन्द्र अग्रवाल की यचिका में कहा गया था कि कांग्रेस और भाजपा को दिल्ली में महंगी सरकारी जमीन पार्टी के नाम पर बहुत सस्ते दामों में मिली है। 14 मार्च 2011 को अनिल बैरवाल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ यचिका दी थी। सूचना आयोग ने सभी दलों को 6 सप्ताह के अंदर सूचना का अधिकार कानून के तहत अधिकारी नियुक्त करने के आदेश दिये हैं।
आयोग ने फैसला सुनाते समय कहा कि राजनितिक दलों के बारे में जनता जानना चाहती है। इसका सीधा सम्बन्ध चुनावों पर पड़ता है।
राजनीतिक पार्टियां भी जवाबदेह
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