अभी के किसान पहिले के किसान के अपेक्षा बहुत कम समय अउर कम मेहनत में खेती करई छथिन। जेई कारण उपज के क्षमता कमजोर होई छई। अउर लोग सब में भी तरह तरह के बिमारी होई छई।
जेकर कारण हई तरह-तरह के तकनिकि मशीन अउर रसायनिक खाद के द्वारा खेती करे के रसायनिक तकनिकि से उपजल अनाज खाय से लोग में बिमारी के साथ उम्र सीमा कम होई छई। लेकिन पहिले के किसान काफी मेहनत करईत रहलथिन। रसायनिक खाद के जगह गोबर अउर राख खेत में डालईत रहलथिन अउर अपना हाथ से बनाएल गेल जेेकी खाद के उपयोग करईत रहलथिन। मशीन के जगह हल जोत के अनाज उपजबईत रहलथिन। जेई से लोग में शक्ति ज्यादा रहईत रहलई। पहिले के लोग अधिक समय तक जिवित भी रहईत रहलथिन। मगर अब लोग मेहनत से दूर हटई छई। पर अभी भी कुछ लोग रसायनिक खाद के जगह जैवी खाद बना के खेती के उपज बढ़बई छथिन। जेईसे बैरगिनिया के गणेश चैधरी अउर रमेश चैधरी कहलथिन कि हम जैविक खाद बना के खेती करई छी। जेई कारण जिला से अनुदान राशि भी देल गेलई। अगर सब लोग जैविक खाद बनाके खेती करथिन त किसान के ज्यादा रूपईया न लगईत अउर उपज भी अधिक होतई।
रसायनिक खाद से महत्वपूर्ण जैविक खाद
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