पटना, बिहार। खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर कोबरापोस्ट ने बिहार में साल 1995 से लेकर साल 2000 तक हुए छह दलित नरसंहारों पर एक बड़ा खुलासा किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सभी नरसंहारों में शामिल रणवीर सेना को देश के कई बड़े राजनेताओं से मदद मिलती थी। यह सभी नेता भाजपा और उसके सहयोगी दलों के थे।
रणवीर सेना के छह कमांडरों और इन नरसंहारों की जांच के लिए बने अमीरदास आयोग के मुखिया के साथ हुई बातचीत को आधार बनाकर यह आॅपरेशन हुआ। इन सभी छह कमांडरों के नाम चंद्रकेश्वर सिंह, सिद्धनाथ राय, प्रमोद सिंह, रवींद्र चैधरी, भेला राय और अरविंद सिंह थे। रणवीर सेना ऊंची जाति खासतौर पर भूमिहारों और ब्राह्मणों द्वारा बनाया गया एक समूह था। इन सभी लोगों ने बताया कि उस समय के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह और वित्त मंत्री ने उन्हें राजनीतिक और आर्थिक मदद करने के साथ हथियार भी उपलब्ध कराए थे। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के रणवीर सेना के मुखिया ब्रह्मेश्वर से करीबी संबंध थे।
इस मामले में आरोपी रणवीर सेना के चंद्रकेश्वर और प्रमोद सिंह को पटना उच्च न्यायालय ने छोड़ दिया, जबकि भेला सिंह, अरविंद कुमार सिंह और सिद्धनाथ सिंह को निचली अदालत ने छोड़ दिया था। भेला सिंह को बिहार पुलिस तलाश रही है। कोबरापोस्ट के खुलासे में इन लोगों ने बताया कि उनके पास एके-47 जैसे घातक हथियार भी थे। इन नरसंहारों की जांच के लिए बने अमीरदास आयोग को भी अपराधियों को बचाने के लिए ही भंग कर दिया गया था।
कोबरापोस्ट ने जस्टिस अमीरदास का भी इंटरव्यू किया। इसमें अमीरदास ने बताया कि बिना नोटिस दिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस आयोग को भंग कर दिया था। हालांकि उनका नाम तो इस रिपोर्ट में नहीं था। मगर डिप्युटी मुख्यमंत्री सुशील मोदी का नाम था। नीतीश कुमार का दल भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी दल था। अमीरदास ने बताया कि इस रिपोर्ट में भाजपा और संघ के कई बड़े नेता शामिल थे।