जिला झांसी, शहर झांसी में रेबे वालो एक परिवार रंग बिरंगी और चमकीली माला बनाबे को काम करत।
मिथिला ने बताई के हम जो काम तीन साल से कर रए। हमाओ पूरो परिवार मिलके जो काम करत। इनको बनाबे को सामान हम रानी महल से लेके आत। और माला बना बना के लच्छी बना लेत एक लच्छी में बारह माला बाधंत फिर बाजार में दुकान वालेन को देयात थोक में। फिर बे पन्नी में पैक करके बैचत एक माला कम से कम साठ सत्तर कि बिकत। हमे एक माला पे तीन रुपईया मिलत।
गीता ने बताई के हम ओरे हर प्रकार कि माला बनात एक दिन में कम से कम बीस पच्चीस बना लेत। सपना ने बताई के हम इन्हें इकठ्ठी बांध के दे देत दुकान पे फिर वे पन्नी में पैक करके बैचत। हम ओरे ऑर्डर पे भी बनात जैसे सामान देत बनाबे के लाने दुकान दार तो तोंल के देत फिर तोल के माला लेत।
निशा ने बताई के हमाय ते जो माला बनाबे को काम भोत जने करत पूरो मुहोल्ला काय के घर बैठे को काम हे। और कोनऊ परेशानी नईया। और जब तक शादी ब्याह को मोका रत जब ज्यादा काम मिलत और बैसे फालतू रत दस दिन में एक दिन काम मिलत। काय के जोई हमाओ धंधो हे। जई से खर्च चलत घर को अगर नई करे तो काय से चला हे घर को खर्चा पानी।
मिथिला ने बताई के हम जो काम तीन साल से कर रए। हमाओ पूरो परिवार मिलके जो काम करत। इनको बनाबे को सामान हम रानी महल से लेके आत। और माला बना बना के लच्छी बना लेत एक लच्छी में बारह माला बाधंत फिर बाजार में दुकान वालेन को देयात थोक में। फिर बे पन्नी में पैक करके बैचत एक माला कम से कम साठ सत्तर कि बिकत। हमे एक माला पे तीन रुपईया मिलत।
गीता ने बताई के हम ओरे हर प्रकार कि माला बनात एक दिन में कम से कम बीस पच्चीस बना लेत। सपना ने बताई के हम इन्हें इकठ्ठी बांध के दे देत दुकान पे फिर वे पन्नी में पैक करके बैचत। हम ओरे ऑर्डर पे भी बनात जैसे सामान देत बनाबे के लाने दुकान दार तो तोंल के देत फिर तोल के माला लेत।
निशा ने बताई के हमाय ते जो माला बनाबे को काम भोत जने करत पूरो मुहोल्ला काय के घर बैठे को काम हे। और कोनऊ परेशानी नईया। और जब तक शादी ब्याह को मोका रत जब ज्यादा काम मिलत और बैसे फालतू रत दस दिन में एक दिन काम मिलत। काय के जोई हमाओ धंधो हे। जई से खर्च चलत घर को अगर नई करे तो काय से चला हे घर को खर्चा पानी।
रिपोर्टर- लाली
20/08/2016 को प्रकाशित
रंग -बिरंगी, चमकीली, सुन्दर माला
बनाता है झांसी का यह परिवार