जिला झांसी, शहर झाँसी में आज भी एक जाने माने प्रेमी पत्रकार कवि जिने हर पुरानी इमारत और इतिहास के बारे में सारी जानकारी हें।
मनमोहन साहू ने बताई के झांसी में वदना हिलसी हें। इते गोचर भूमि भी हें इते के रेबे वाले गाय भैस बकरी चरात ते। झांसी के पहले इते वलबंत नगर हतो उत्तर की तरफ। इते से बारा किलो मीटर दूर वेतवा हें।और दक्षिण की तरफ सुन्दर नगर हें।जबही तो झांसी में एक से एक शिवालय और मूर्ति हें। इते झांसी की रानी के पहले गुसाइयो ने भजन पूजन किया और उनके उपयुक्त नाम भी हते।
मनमोहन ने बताय के हमने बुन्देलखंड से बी ए की परीक्षा पास की। और हमने और फिर पेपर वाटवे को काम करो।बा के बाद प्रेस में काम करो केऊ पेपर में भी काम करो दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण,सब में काम करो और रूचि दिखाई हें।कायके हम प्रुफिडिंग को भी काम करत और और हमने उपन्यास भी पड़े हें। और हमने भौत कविता लिखी पड़ी। कायके रानी के बारे में लिखने परत तो हमे।और जैसे ही डेस्क पे बैठत और तुरंत याद आ जात। जो तो सरस्वती माता की कृपा हो जात और बस बैठथ ते और याद हो जात और हमने एक कहानी भी लिखी थी। जो झांसी की रानी की जानी मानी हें।
वाल पर बदने नहीं दूगी में,पहाड़ो पर मंजूर रानी संग रानवान हात्सा स्वीकार पर, हंसी न दूंगी में कर तलवार धर खंभ पर, प्रहार कीनो फोरन रुंद मुंड चीर दीनो,दावे हू में पूना सतारा बिटरपुर दिल्ली,फिरेगी स्वदेश पर न काबिल न होने दुगी, आन वान शान से ला दुगी में दूंगी, में अपनी जान पर झांसी न दूगी।
इस तरह की कई कविता और कहानी लिखी हें। और पढ़ी हें और इन सब में हमने काम करो और अपनी रूचि भी भौत अच्छी तरह से दिखाई और हमाय तो ऊपर सरस्वती मा को हाँथ हें। सो हमने तो भौत बड़ीकहानी लिखी और सुनी सुनाई और अच्छो काम भी काम करो।
मनमोहन साहू ने बताई के झांसी में वदना हिलसी हें। इते गोचर भूमि भी हें इते के रेबे वाले गाय भैस बकरी चरात ते। झांसी के पहले इते वलबंत नगर हतो उत्तर की तरफ। इते से बारा किलो मीटर दूर वेतवा हें।और दक्षिण की तरफ सुन्दर नगर हें।जबही तो झांसी में एक से एक शिवालय और मूर्ति हें। इते झांसी की रानी के पहले गुसाइयो ने भजन पूजन किया और उनके उपयुक्त नाम भी हते।
मनमोहन ने बताय के हमने बुन्देलखंड से बी ए की परीक्षा पास की। और हमने और फिर पेपर वाटवे को काम करो।बा के बाद प्रेस में काम करो केऊ पेपर में भी काम करो दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण,सब में काम करो और रूचि दिखाई हें।कायके हम प्रुफिडिंग को भी काम करत और और हमने उपन्यास भी पड़े हें। और हमने भौत कविता लिखी पड़ी। कायके रानी के बारे में लिखने परत तो हमे।और जैसे ही डेस्क पे बैठत और तुरंत याद आ जात। जो तो सरस्वती माता की कृपा हो जात और बस बैठथ ते और याद हो जात और हमने एक कहानी भी लिखी थी। जो झांसी की रानी की जानी मानी हें।
वाल पर बदने नहीं दूगी में,पहाड़ो पर मंजूर रानी संग रानवान हात्सा स्वीकार पर, हंसी न दूंगी में कर तलवार धर खंभ पर, प्रहार कीनो फोरन रुंद मुंड चीर दीनो,दावे हू में पूना सतारा बिटरपुर दिल्ली,फिरेगी स्वदेश पर न काबिल न होने दुगी, आन वान शान से ला दुगी में दूंगी, में अपनी जान पर झांसी न दूगी।
इस तरह की कई कविता और कहानी लिखी हें। और पढ़ी हें और इन सब में हमने काम करो और अपनी रूचि भी भौत अच्छी तरह से दिखाई और हमाय तो ऊपर सरस्वती मा को हाँथ हें। सो हमने तो भौत बड़ीकहानी लिखी और सुनी सुनाई और अच्छो काम भी काम करो।
रिपोर्टर- लाली
04/08/2016 को प्रकाशित
ये हैं मनमोहन साहू स्नेही – पत्रकार, कवि और इतिहासकार।
झांसी का चलता फिरता इतिहास हैं ये!