गैर-आवासीय भारतीय (एनआरआई), युवा ‘ग्राफिक डिजाइनर’, जो कंप्यूटर के ज़रिये कला में काम करतें हैं, नूशीद परिमल ने दुबई शेहर में अपना सफल कार्य छोड़, देश में वापसी करी है। उन्होंने केरल के कन्नूर में अपने घर में खेती करने और यहीं बसने का फैसला लिया है।
खेती के अलावा, उन्होंने नारियल के पत्तों से पारंपरिक खिलौने बनाने की एक देहाती कला को भी पुनर्जीवित किया। उन्होंने इसको आगे बढ़ाने और बचाए रखने के लिए शहरी बच्चों को इसे सिखाना शुरू किया है और इसके लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी किया है। टोपी, टोकरियों, सीटियां, मछली, सांप, फूल, पक्षियों, और इसी तरह बनी हाथ की कई चीजें जो महिलाओं के फैशन क्षेत्र में भी थी उन्हें बनाया।
‘मेक इन इंडिया’ का जो इतना प्रचार चल रहा है , ऐसे वातावरण में युवा पीढ़ी के सदस्य जब वापस अपने देश आते हैं, तब इसे कह सकते हैं असली घर वापसी!