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16 दिसंबर को विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि राज्य में दो सौ बयालीस गांव आदर्श गांव बनेंगे। इन गावों में खाद, पानी जैसी सुविधाओं की व्यवस्था सरकार करेगी। ग्रामीण युवाओं को खेती से जोड़ा जाएगा जिससे वे आर्थिक रूप से मज़बूत हो सकें।
उत्तर प्रदेश में ही आदर्श गांव को लेकर काफी सवाल उठते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा 2014 में की थी। हर सांसद को इसके तहत अपने चुनाव क्षेत्र से एक गांव का आदर्श गांव के रूप में 2016 तक विकास करना होगा। इसके तहत इन गांवों में स्मार्ट स्कूल, बेसिक स्वास्थ्य सुविधाएं, पक्के घर और ई-प्रशासन की व्यवस्था सांसदों को करानी है। इस योजना को लागू हुए एक साल और दो महीने हो गए हैं लेकिन शायद ही कोई गांव है जिसमें इन आयामों के तहत विकास हुआ है।
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने आज़मगढ़ क्षेत्र में तमौली गांव को आदर्श बनाने की जि़म्मेदारी ली। इस साल मई-जून तक वहां विकास सिर्फ कागज़ों तक सीमित था। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने मलीहाबाद के माल गांव को गोद लिया। लेकिन नौ-दस महीने गुज़र जाने के बाद भी वे उस गांव तक नहीं गई थीं। यही हाल कांग्रेस पार्टी के सोनिया गांधी और राहुल गांधी के गोद लिए हुए गावों का है। आदर्श बनाना तो दूर, यहां तक ये सांसद पहुंचे भी नहीं हैं। खबर लहरिया ने फैज़ाबाद के तिंदौली गांव में विकास की स्थिति को परखा – यहां भारतीय जनता पार्टी के सांसद लल्लू सिंह को विकास करवाना था। यहां भी सर्वे के बाद काम ठप्प पड़ा था। तिंदौली के नाराज़ ग्रामीणों का कहना है कि इससे बेहतर यह होता कि उनके गांव को गोद ही न लिया जाता – कम से कम उन्हें विकास की कोई उम्मीद तो नहीं होती।
कारण जो भी हो, यह स्पष्ट है कि बहुत कम सांसद, विधायक और नेता गांवों को आदर्श बनाने को प्राथमिकता देते हैं। शिवपाल सिंह यादव ने गांवों को आदर्श बनाने की घोषणा तो कर दी है। कागज़ में यह गांव चयनित भी कर लिए जाएंगे। लेकिन क्या ये गांव सही मायने में विकसित हो सकेंगे? – ये समय ही बताएगा।