सरकार कहत तौ हवै कि स्कूलन मा हरतान के सुविधा होइ, पै चित्रकूट जिला मा सच्चाई का देखा जाये तौ कुछौ अउर नजर आवत हवै। हिंया के स्कूलन मा कत्तौ हैण्डपम्प खराब हवै तौ कत्तौ बाउन्ड्री नहीं आय। कत्तौ कत्तौ मिड्डे मील तक नहीं बनत आय। बच्चा भूखे पियासे कसत पढ़ सकत हवैं। इं समस्या विभाग अउर सरकार काहे नजर अंदाज करत हवै? इं समस्या से बच्चन के पढ़ाई मा गहरा असर परत हवै। स्कूल का हैण्डपम्प खराब हवै तौ बहुतै परेशानी हवै। कहे से मिड्डे मील का खाना बनावै का अउर बच्चन के पानी पियै अउर बर्तन धोवै के बड़ी समस्या हवै। इं समस्या के बारे मा सरकार कउनौ ठोस कदम काहे नहीं उठावत आय? या बच्चन के भविष्य का सवाल हवै? जउन कि सरकार शिक्षा विभाग का सबसे नींक समझत हवै। वहै बच्चन के साथै खेलवाड़ करत हवै। यहिका उदाहरण ब्लाक रामनगर कस्बा राजापुर का प्राथमिक अउर जूनियर हाई स्कूल। इं दूनौ स्कूलन के बीच मा एक हैण्डपम्प हवै। वहौ एक बरस से खराब हवै। यहै से पानी के बहुतै समस्या हवै।
यहिनतान के दूसर समस्या पहाड़ी ब्लाक के गांव खैरी। के प्राथमिक स्कूल मा खाना कत्तौ बनत हवै कत्तौ नहीं बनत यहै से बच्चन का भूखे रहै का परत हवै आखिर हैण्डपम्प बनवावै के अउर मिड्डी मील के जम्मेदारी शिक्षा विभाग वाले सही से आपन जिम्मेदारी काहे नहीं निभावैं। अगर पानी न मिली तौ मिड्डे मील का खाना अउर बच्चन के पियास कसत बुझी? या एक गम्भीर समस्या हवै। येत्ती गम्भीर समस्या होय के बादौ प्रधान अउर शिक्षा विभाग का कउनौ चिन्ता काहे नहीं आय? का उंई यहिके बारे मा कत्तौ नहीं सोचत आय।
या जवाबदेही केहिके आय
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