यांगून, म्यांमार। म्यांमार या पुराना नाम बर्मा देश के संघीय चुनाव आयोग यूईसी ने 11 नवंबर को घोषणा की कि विपक्षी नेता आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फाॅर डेमोक्रेसी यानी एनएलडी ने 8 नवंबर को हुए आम चुनाव में जीत हासिल की है। आंग सांग सू की लोकतंत्र की हिमायती हैं जबकि सत्ताधारी पार्टी यूनियन सोलीडेरिट एंड डेवलपमेंट यानी यूएसडीपी तानाशाह पार्टी है। आंग सान सू की की प्रतिनिधि सभा निचले सदन के लिए चुन ली गई है। संघीय चुनाव आयोग की तरफ से जारी नतीजों के अनुसार अब तक एनएलडी संसद के तीन स्तरों के लिए कुल दो सौ इक्यानवे सीटें जीत चुकी है। जबकि सेना समर्थित सत्ताधारी यूनियन सोलीडेरिट एंड डेवलपमेंट यानी यूएसडीपी को कुल सत्ताईस सीटें ही मिलीं।
म्यांमार इतिहास और लोकतंत्र की हिमायती आंग सान सू की
भारत और चीन के बीच बसे इस देश को 1948 में आज़ादी मिली थी। 1987 में वहां की मुद्रा की कीमत बहुत गिर गई। इसके चलते यहां दंगे भड़के। सरकार ने यहां सेना का शासन और कानून घोषित कर दिया। आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फाॅर डेमोक्रेसी ने इसका विरोध किया तो उन्हें 1889 में उनके घर पर ही नज़रबंद कर दिया गया। पंद्रह साल वे नज़रबंद रहीं। 1990 में आम चुनाव में आंग सान सू की की पार्टी को भारी जीत मिली। मगर सत्ताधारी पार्टी ने इन नतीजों को मानने से मना कर दिया। 2009 में ही उन्हें रिहा किया गया। 2012 में वे यहां की एक ग्रामीण बस्ती से सांसद चुनी गई थीं। उनकी पार्टी तब कुछ सांसद लेकर सत्ता में भागीदार बनी थी। मगर इस बार मिली ऐतिहासिक जीत को सैन्य शासन की भारी हार और लोकतंत्र की जीत कहा जा सकता है। म्यांमार में पचास साल से सेना ही शासन कर रही है।