जिला वाराणसी, ब्लाक काशी विद्यापीठ दशाश्वमेघ घाट कामूर मंठ। इहां के रहे वाली किरण के विवाह बेलवहीया के गुलाब से भयल रहल। किरण के कहब हव कि हमार आदमी दूसर शादी कइले हयन आउर हमके घरे में से निकाल देहले हयन।
किरण बतावलीन कि एही से हम तीन साल से अपने आदमी के खिालफ मुकदमा लड़त हई कि एक मेहरारू के होते हुए दूसर विवाह काहें के कइला। किरण के कहब हव कि हमरे पास तीन बच्चा हयन। हमके के खाना खर्चा देई। के हमरे बच्चन के पाली खियाई।
किरण के आदमी दीनानाथ के कहब हव कि ना तो एक ेहम छोड़ब आउर ना तो एके हम रख्खब। एकर जउन मन तउन करे। आउर ना तो एक हम कुछ देब। किरण के आदमी किरण के मरले भी हईन जउन छः जगह से जख्मी हईन।
वकील पूर्णेन्दु प्रकाश पाण्डेय के कहब हव कि दीनानाथ अपने पति के मरले हयन जउन छः जगह घाव हव। फिर भी हम चाहत हई कि आपस में समझ ले। अपने पहली पतनी के सम्मान दे। दूसरी के छोड़ दे।