जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव ढ़ढवार का पुरवा मटियारा। हिंया बच्ची पन्द्रह बरस से चूड़ी बेच के अपने परिवार वालेन का पेट पालत हवै। या कारन वा बहुतै खुश हवै।
बच्ची का कहब हवै कि मनसवा महादेव का मरे सत्तरह बरस होइगे हवै। मनसवा का टी.बी के बीमारी रहै। या कारन घर का खर्चा नींक तान से नहीं चलत रहै। यहै से परेशान रहत रहौं। पन्दह बरस पहिले ईंटा गारा करत रहौं फिर चूड़ी का काम करै लगी हौं। मोर तीन बिटिया दुइ लड़का हवंै। उनका पेट पालत हौं। अब हिम्मत से काम करत हौं।यहिनतान दूसर खबर जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर गांव ऐलहा के दराई पुरवा के हवै। हिंया के बुधिया गेंदा के पौधा अउर सब्जी लगाये हवै। गेंदा के फूल बेंच के अपने
घर का खर्चा चलावत हवै। यहै से वा बहुतै खुशी रहत हवै।बुधिया का कहब हवै कि मैं या काम बारह बरस से करत हौं। एक बरस मा दस हजार रूपिया बचा लेत हौं। छह बच्चा हवै उनके पढ़ाई लिखाई अउर खाना खर्चा यहैं कमाई से पूर करत हौं। काहे से कि कउनौ कमाये वाला नहीं आय।मनसवा का पन्द्रह बरस से टी.बी. के बीमारी हवै। वा कउनौ काम धंधा नहीं कइ सकत हवै। वहिका भी इलाज करावैं का परत हवैं। पहिले परेशान रहत रहौं, पै जबै से गेंदा के फूल अउर सब्जी बोये लाग हौं। यहिके बाद बेंचत हौं तौ परेशानी दूर होइगे हवै। अब खुशी होत हवै। यहिनतान अगर हिम्मत अउर लगन हवै, मेहनत कइके आपन जिन्दगी का खुशी बना सकत हवै
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