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मेरी मोहब्बत और जिंदगी…

imagesमेरे गाँव का एक लड़का बिलकुल अजय देवगन जैसा दिखता था, लम्बा और गोरा खुबसूरत नौजवान। वो टीवी ठीक करने का काम करता था इसलिए कई बार मेरे घर टीवी बनाने आता था। वो मुझे बहुत पंसद था। एक दिन वो जब मेरे घर के सामने वाले नीम के पेड़ के नीचे आया तो हम दोनों एक दूसरे को नजर भर के देखने लगे। यह मेरी तरफ से हरी झंडी थी। मैं उससे चोरी-चोरी से मिलती और बातें करती रही। अक्सर हम नीम के पेड़ के नीचे सूरज डूबने के बाद मिलते थे। हम डरते थे कि कहीं कोई देख न लें लेकिन इस छुप-छुपा के मिलने में बड़ा ही मज़ा आता था। ऐसी ही मुलाकातों में हमारे बीच प्यार बढ़ता गया। हम रोज किसी भी बहाने से मिल लिए करते थे और जब नहीं मिल पाते थे तो दिल घबराता रहता था
तभी अचानक से लड़के की शादी के लिए रिश्ता आ गया। जिसके बाद लड़का इससे बचने के लिए बम्बई चला गया। कुछ दिनों बाद बम्बई से वापस आ कर उसने अपने परिवार से मेरे से शादी करने के बारे में कहा, लेकिन उसके घर वालों ने मना कर दिया क्योंकि जहाँ उस लड़के की शादी तय हुई थी वो लोग उसे अच्छा-खासा दहेज़ दे रहे थे। मैं गरीब घर की लड़की थी, मैं कुछ भी नहीं दे सकती थी इसलिए लड़के के पिता ने शादी के लिए मना कर दिया।
कुछ समय गुजरा लेकिन हमारा प्यार कम न हुआ आखिरकार हम दोनों ने चोरी-छुपे जा कर कोर्ट मैरिज कर ली और बम्बई चले गये। मैं बहुत खुश थी आखिर मुझे मेरा प्यार मिल ही गया। कुछ दिन बाद हमने वापस जाने का सोचा। उम्मीद थी कि सभी हम दोनों को स्वीकार कर लेंगे।
जब हम गांव वापस आ गये तो सभी कहते थे कि हम एक-दूसरे को छोड़ दें। बहुत बहस, बहुत क्लेश हुआ लेकिन न वो लड़का तैयार हुआ न मैं। यह सब काफी दिनों तक चला जिसके कारण लड़का परेशान हो कर बीमार हो गया। उसी समय लड़के ने कुछ जमीन मेरे नाम कर दी थी।
लड़के की तबियत बहुत खराब होने लगी, बहुत दवाई कराने के बाद भी वो ठीक न हो सका और मुझे अकेला छोड़ कर चला गया। उसके जाने के बाद उसके बड़े भाई और भाभी यानी मेरे जेठ और जेठानी मुझे परेशान करने लगे। उन्हें वो जमीन चाहिये थी जो मेरे नाम पर थी। इस बार मेरी बड़ी बहन ने मेरा साथ दिया और अधिकारियों के सामने सारे कागज पेश करा कर मुझे मेरे जेठ और जेठानी से मुक्ति दिलाई।
अब मैं अकेली हूँ, प्यार अच्छी चीज़ है, प्यार करना चाहिये लेकिन इसमें बहुत संघर्ष है और यदि आपका साथी यूंही आपसे जुदा हो जाये तो जीना मुश्किल हो जाता है।
यह लेख खबर लहरिया और एजेंट्स ऑफ़ इश्क की कार्यशाला में लिखा गया है।