मेरठ के चंदौरा की रहने वाली 21 साल की जैनब खान अपने गांव की पहली लड़की है जो स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज गई हैं। लेकिन जैनब के लिए यह इतना आसान नहीं था। उसे तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। वह स्कूल जाने के लिए रोज 160 किलोमीटर का सफर तय करती थी। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। आज वह मेरठ के ‘स्माइल कॉलेज’ में राजनीती विज्ञान से एम ए कर रही हैं। उनके संघर्षों से प्रभावित होकर यूपी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया है।
जैनब ने बताया कि गांव में 8वीं के बाद ज्यादातर लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं क्योंकि आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए स्कूल गांव से 80 किमी दूर है। जैनब ने बताया कि वह हर रोज अपने पिता के साथ 160 किलोमीटर का सफर करती थीं। वह कहती हैं, “हर रोज इतनी दूर आना-जाना पिताजी और मेरे, दोनों के लिए खासा मुश्किल था। लेकिन हमने तमाम मुसीबतों का सामना किया, क्योंकि मुझे आगे पढ़ाई करनी थी।”
जैनब की तरह स्कूलिंग पूरी करने की चाह रखने वाली सैंकड़ों लड़िकयों की समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस इलाके में इंटर कॉलेज बनाने के लिए काम शुरू करा दिया है। चंदौरा गांव में महज सात साल की उम्र से ही लड़कियां काम करना शुरू देती हैं। घर का काम करने के साथ अन्य छोटे-मोटे कामों में भी लगा दी जाती हैं, जिससे वह घर में चार पैसे कमाकर ला सकें। लेकिन जैनब खान ने बाल मजदूरी को नकार कर पढ़ाई करने की ठानी और अपने साथ-साथ 12 अन्य लड़कियों को भी पढ़ाई का सपना पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
जैनब को पुरस्कार के तौर पर एक लाख रुपये मिले हैं। उसका कहना है कि वह इस पैसे को अपने इलाके की लड़कियों में पढ़ाई के लिए जागरूकता लाने पर खर्च करेंगी। बचपन बचाओ आंदोलन के तहत जैनब अकेली लड़की थी जो कि घर-घर जाकर लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करती थीं।
फोटो और लेख साभार: शी द पीपल