‘बारह – साढ़े बारह बजे होंगे, मैं खाना बना रही थी कि अचानक कुछ लोग छत से कूदकर नीचे आ गए। घर में तोड़फोड़ शुरू कर दी। उनमें से कुछ लोग घर का सामान लूटने लगे। मैं जान बचाकर भागने लगी तो उन लोगों ने मेरे बाल पकड़ कर खींच लिया।’ ऐसा बताने वाली एक औरत की डाक्टरी जांच के आधार पर सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट थाना फुगाना, तहसील बुढ़ाना में दर्ज की गई है।
पिछले एक महीने से अ©रत का परिवार मुज़फ्फरनगर के ही लोई गांव में राहत कैम्प में रह रहा है। उन्होंने गांव के पांच लोगों – रमेश, ब्रिजेन्द्र, देवेन्द्र, रामकुमार और सुनील के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। वो लोग बहुत दबंग हैं। प्रधान के भी करीबी हैं। अभी तक पुलिस भी उनका कुछ नहीं कर पाई है। औरत के पति ने बताया कि वह तब तक गांव नहीं जाना चाहती जब तक कि इन लोगों की गिरफ्तारी न हो जाए। इन सभी लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 395, (डकैती), 397 (लूटपाट और हत्या की कोशिश), धारा 428 (किसी के पशु को मार डालना) और धारा 376 (बलात्कार) के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है।
पति ने बताया कि पूछने पर पुलिस हर बार एक ही जवाब देती है – हम उनकी खोज कर रहे हैं, जबकि सबको पता है कि वो लोग गांव में ही हैं। पति ने यह भी बताया कि दंगे के समय लगातार पुलिस का 100 नंबर मिलाने पर कभी व्यस्त तो कभी फोन ही नहीं लग रहा था। पांच बजे के बाद ही वहां पुलिस तैनात हुई। इस बीच कई लोगों की जानें गईं।
मुज़फ्फरनगर में अभी तक बलात्कार और यौन हिंसा के छह एफ.आई.आर. दर्ज किए जा चुके हैं। अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।