जिला बांदा,ब्लाक तिंदवारी,गांव गोखरही मा हेंया दलितन के नाम 2007 मा सरकार के आदेश से जेहिके जमीन नहीं आय। उई मड़इन मा दुई-दुई बीघा पट्टा के जमीन उनके नाम कई दीन गे रहै। पै या जमीन सरकार बड़े जमीदार के जमीन से लिहिस रहै। पै अबै तक कब्जा नहीं मिला आय। आजादी के बाद भारत मा खेती वाली जमीन मा पट्टा देका कानून लागू कीन गा रहै। वा समय जमींदारी प्रथा खतम करै अउर किसासन का जमीन दे का रहै।
रामचरन का कहब है कि 2007 मा बीस मड़इन का पट्टा कीन गा रहै, तबै जमीन मालिक स्टे लगा दिहिस रहै तौ हमरे नाम जमीन नहीं भे रहि आय, तबै से मुकदमा चलत रहै तौ 30 दिसम्बर 2017 का इलाहबाद हाईकोर्ट से केस जीत गये हन। भोलिया का कहब है कि अबै जमीन नहीं नापी गे आय न हमें कब्जा मिला आय।लेखपाल कहत है कि हमें अबै आदेश नहीं मिला आय। रामकेश का कहब है कि अठारह पट्टा धारक 2007 से मुकदमा लगा लड़त हैं। अब जाके फैसला भा है तौ जमीन नापी जई।
विपक्षी फूलकली का कहब है कि नायबतहसीलदार, पटवारी सब आये रहै तौ हम मुकदमा कई दीने हन हम आपन जमीन न नापे देबे।
तहसीलदार अवधेश कुमार का कहब है कि आदेश का पालन कीन जई, वहिके खातिर टीम बनाई गे है।
रिपोर्टर- गीता देवी
Published on Apr 10, 2018