मुंबई, महाराष्ट्र। मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा अब 30 जुलाई को नहीं होगी। हालांकि सुप्रमी कोर्ट याकूब की दया याचिका खारिज कर चुका है। लेकिन अब याकूब ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है।
मेमन के परिवार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को याचिका भेजी है। अगर यह दोनों याचिकाएं खारिज भी होती हैं तो यह तो तय है कि कम से कम चैदह दिनों तक फांसी नहीं दी सकती। क्योंकि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आखिरी याचिका खारिज होने और फांसी देने के बीच कम कम से कम चैदह दिन का अंतर होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के जज सदाशिवम ने कहा था कि यह अंतर देने का मकसद है कि दोषी इस समय में खुद को सजा के लिए तैयार कर सके। अपने परिवार से मिल सके। 2014 में भी याकूब के लिए उसके भाई ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी। उस वक्त यह खारिज कर दी गई थी। अब देखना यह है कि याकूब की निजी दया याचिका पर राष्ट्रपति क्या फैसला देते हैं। याकूब को 30 जुलाई को फांसी दी जानी थी। उधर ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ नाम की मानवाधिकार संस्था ने याकूब की फांसी का विरोध शुरू कर दिया है।