मिलो ललितपुर जिला के नाराहट गांव के रेबे वाले संतोष विश्वकर्मा से जे हारमोनियम बनाबे और सुधारबे को काम करत। संतोष विश्वकर्मा के खेती नइया तो अपने जई धंधे से खर्चा चलात।
संतोष विश्वकर्मा ने बताई के हमे जो काम करत करत पंद्रह साल से ज्यादा हो गयी। हमाई दुकान आरती हारमोनियम से चलत पहले हमने सागर में जो काम सीखो फिर हम उतेई हेल्परी को काम कारन लगे फिर जो कमी रह गयी ती सो बो हमने माल्थोंन में सीखो।
जब हम पूरी तरह से सीख गये तो हमने फिर अपने घरे दुकान खोली हमाय पास आर्डर आत के हमे एसी जा तरा की हारमोनियम बनबाने तो फिर बई हिसाब से हम बनात। फिर जब बन के तैयार हो जात तब बे अपनी हारमोनियम ले जात और हमाए रुपईया दे जात।
पहले हमाय ते आरामशीन हती तो बो आरामशीन चली गयी इते से फिर हमने दुकान खोल लई। हम दो भज्जा हे मताई बाप गुजर गये हमाये पांच मोड़ी मोड़ा हे सो जई से अपनों खर्चा चलत।
और जे चीजे एसी तो हे नइया के हर कोऊ लेहे। जे तो शौक की चीजे हे अगर जी को शौक हे बोई बनबात हर कोऊ थोड़ी बनबात। सीजन में हम आठ हारमोनियम के आस पास बेच लेत।
रिपोर्टर- राजकुमारी
Published on Feb 20, 2017