मिड्डे मील के खाना बानावें खी व्यवस्था तो सरकार ने स्कूलन में लागू कर दई हे, पे अगर इखी सच्चाई खा जाने के लाने स्कूलन में पता करो जाय तो कछु ओर मिलत हे। कोनऊ स्कूलन में खा नई बनत हे, तो कोनऊ स्कूलन को खाना अच्छो नई बनत हे। इ कारन खाना खे बर्बादी होत हे, पे इखो रिकार्ड खाली स्कूल के राजिस्टर में भर चढ़ो रहत हे। ऐसई कछु समस्या उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में भी देखैं का मिली हे। ऊते के केऊ स्कूलन में मिड्डे मील को खाना नई बनत हे।
अगर सरकार ने बाल शिक्षा अधिकर नियम लागू कर खें दलित गरीब ओर असहाय लोगन के बच्चा खा फ्री में शिक्षा कपड़ा ओर खाना कि व्यवस्था कर दई हे। जीसे गरीब लोगन खे बच्चा एक टइम को खाना तो स्कूल में पेट भर के खा सकें ओर उनके घर आवैं जाये कि परेशानी दुर हो जाय पे नियम खा पलट के नई देखो आय कि स्कूलन में चलाए गए नियम खी का स्थिति हे ओर इ व्यवस्था को लाभ ऊते के गरीब बच्चन तक पोहोच पाउत है कि नई।
एई कारन हे कि गरीब लोगन खे बच्चन मारे ढ़केले एते-ओते फेरत हे। या फेर छोटी उमर में ही उनके ऊपर काम खा बोझ रख दओ जात हे ओर शिक्षा से वंचित हो जात हे। काए से उनके घरन में तो इतनी अच्छी व्यवस्था नइया कि मताई बाप रूपइया लगा खे प्राइवेट स्कूलन में पढ़ा सकें। साथ ही विभाग कि साठ गाठ ओर लापरवही से सरकारी घन को दुरपियोग करो जात हे।
मिड्डे मील व्यवस्था, नई दओ जात ध्यान
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