सब पढ़े सब बढ़े का ढि़ढ़ोरा पीटै वाली सरकार लम्बे समय से चली आवत मास्टरन के कमी पूरा करैं मा काहै नाकाम हवै। ऊपर से शिक्षा का अधिकार कानून बना के बच्चन के भविष्य सुधारैं के दिखावटी बात कहिके काम करत हवै। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकार ही कानून बनाइस कि प्राथमिक विद्यालय मा 35 बच्चन मा अउर जूनियर मा 40 बच्चन मा एक मास्टर होय का चाही। जबैकि सच्चाई या हवै कि सौ से पांच सौ तक बच्चा एक शिक्षा मित्र या फेर एक मास्टर के भरोसे पढ़त हवैं । सरकार ही कानून बनावत हवै अउर वहै कानून का पालन काहे नहीं करत हवै? कउनौ कानून के खिलाफ काम करै मा संविधान के हिसाब से सजा मिलत हवै, पै सरकार कइत से खुदै कानून का पालन न करैं मा वहिका कउन सजा देइ? जबैकि कहा जात हवै कि कानून के नजर मा सब बराबर हवै तौ हिंया बराबरी का दर्जा काहे छीना जात हवै?
जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी का गांव बैहार प्राथमिक स्कूल मा बच्चन एक सौ बयालिस बच्चन मा एक मास्टर हवै। सरकार कइत से मास्टरन के कमी पूरा करैं मा ठोस कदम उठावै के जरुरत हवैं। नहीं तौ मास्टरन के कमी बनी ही रही। मास्टर के कमी का पूर करैं खातिर शासन प्रशासन का अउर केत्ता समय लागी। या सवाल का जवाब सरकार जल्दी पूर करैं के कोशिश करै।
मास्टरन के कमी का कबै पूरा करी सरकार
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