जिला चित्रकूट। जिले में कुल सात सौ अड़तालिस आंगनवाड़ी केन्द्र हैं। इन केन्द्रों में सात सौ छब्बीस आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कार्यरत हैं जो अपने मानदेय बढ़ाने के लिए कई बार धरने प्रदर्षन कर चुके हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी पहुंचाया है। लेकिन अभी तक मानदेय नहीं बढ़ा।
ब्लाक मऊ, गांव खोहर, मजरा लसही। यहां आंगनवाड़ी संतोष कुमारी है। उन्होंने बताया कि मानदेय एक महीना में तीन हजार रुपए मिलता है। काम ज़्यादा रहता है। इतनी महंगाई में घर का खर्चा नहीं पूरा होता है। मानदेय बढ़ाने के लिए छः महीना पहले धरना प्रदर्षन किया और ज्ञापन भी दिया।
ब्लाक रामनगर, गांव सिकरी। यहां कि आंगनवाड़ी शीला देवी ने बताया कि वे रोज़ केन्द्र समय से खोलती हैं। बच्चों को पंजीरी भी बांटती हूं। लेकिन सरकार मानदेय नहीं बढ़ाती है।
ब्लाक मानिकपुर, कस्बा मानिकपुर की सी.डी.पी.ओ. गीता मिश्रा का कहना है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बहुत मेहनत करती हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों का टीकाकरण, पोषाहार बांटना केन्द्र में बच्चों को बुलाना और पढ़ाना पढ़ता है। उनका मानदेय बढ़ना ज़रूरी है।
ब्लाक कर्वी। यहां की एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि मानदेय मिलता भी है तो समय से नहीं मिलता।
क्या योजना में बदलाव का समय आ गया है?
आंगनवाड़ी केंद्रों का गठन 1975 में हुआ था। कार्यक्रम को चलाने में जहां करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, कार्यकर्ताओं का मानदेय आज के ज़माने के हिसाब से बहुत कम है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी हरीष कुमार ने बताया कि जिले में कुल मिनी आंगनवाड़ी दो सौ ग्यारह स्वीकृत हैं। उनमें से एक सौ अठत्तर कार्यरत हैं। मानदेय बाइस सौ पचास रुपए है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय केंद्र सरकार योजना में बदलाव करके बढ़ाएगी तभी बढ़ सकता है।