जिला महोबा, ब्लॉक जैतपुर, गांव मुढ़ारी, 13 अक्टूबर 2016। मुढ़ारी गांव में 20 दिनों के अन्दर 5 बच्चों की मौत हो गई है। मौत की वजह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया बताई जा रही है। गांव में ये बीमारियां तेजी से फैल रही है और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैतपुर के स्वास्थ्य अधीक्षक इन मौतों की जानकारी न होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। 20 दिन में हुई इन मौतों के बाद लोगों के दिलों में दहशत है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इन बीमारियों को कैसे रोका जाए।
मुढ़ारी में गायत्री, उम्र 9, राबिया, उम्र 6, उमा, उम्र 8, सैयरा, उम्र 2, और क्रांति, उम्र 11, की मौत के बाद भी डॉक्टरों की टीम यहां जांच करने के लिए नहीं आई और न ही कूड़े से भरी नालियों को साफ करने के लिए कोई कर्मचारी ही आया है। यहां मच्छरों को कम करने के लिए कोई दवा का छिड़काव भी नहीं हुआ है। कूड़े से भरी नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। गांव के खेतों में घास- फूस बढ़ रही है और खाली पड़ी जगहों पर बारिश का पानी भर हुआ है। इन सभी से मच्छरों की संख्या और बढ़ रही है।
गांव में मरे 5 बच्चों में से एक है गायत्री जिसकी मौत डेंगू के कारण हुई थी। गायत्री की मां सम्पत, उम्र 30, दुखी मन से बताती हैं, “मेरी बेटी मरी है, हमने उसे पहले महोबा में दिखाया पर वहां कोई सुधार नहीं होने पर हम उसे झांसी ले गए। पर उसकी तबीयत वहां और खराब हो गई थी और वह मर गई।” सम्पत के चार बच्चे हैं और गायत्री उसमें सबसे बड़ी लड़की थी। गायत्री की मौत के बाद घर वाले दुखी हैं कि कैसे अचानक से हंसती खेलती बेटी उनके बीच से चली गई।
गायत्री के चाचा जगरनाथ, उम्र 38, बताते हैं, “हमने उसे महोबा और झांसी में दिखाया था पर हम उसे बचा नहीं पाए। डॉक्टर ने खून की जांच और एक्स रे भी करवाया था। पर सब बेकार रहा और वो बच नहीं सकी। गायत्री चार दिन तक अस्पताल में भी भरती रही थी।”
राबिया की भी मौत हुई थी। राबिया के नाना छेदु शेख मंसुरी, उम्र 60, बताते हैं, “नातिन राबिया को मलेरिया का बुखार था। उसका इलाज भी चल रहा था पर अचानक से एक दिन हालत खराब हुई और उसकी मौत हो गई।”
गायत्री, राबिया, उमा, शायरा और उमा, इन पांचों लड़कियों की मौत की वजह मच्छरों से होने वाली बीमारियां ही थी। इस गांव में जगह-जगह में कूड़े के ढ़ेर हैं, जिन्हें साफ करने के लिए कोई सफाई कर्मचारी नहीं आए। गंदगी के चलते ही गांव में मलेरिया, डेंगू ,चेचक और चिकनगुनिया ने इतना भयांकर रुप ले लिया है पर गांव वालों की खोज खबर लेने के लिए कोई सरकारी स्वास्थ्य टीम अभी तक नहीं आई है। स्वास्थ्य विभाग की इस ही बेरुखी के बारे में यहां के 16 साल के वहीद मोहम्मद बताते हैं, “एक महीने से ये बीमारियां हो रही हैं पर अभी तक कोई सरकारी टीम यहां नहीं आई। बस इमरजेंसी होने पर ही कोई एम्बुलेंस आ जाती है।” वहीद की भी 2 साल की भतीजी शायरा मरने वाले इन पांच बच्चों में से एक थी।
गांव में फैल रही बीमारियों के बारे में सुरेन्द्र सिंह, उम्र 40, बताते हैं, “यहां मच्छरों से फ़ैलने वाली बीमारियां दो महीने से तेजी से फैल रही हैं। इन बीमारयों को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।”
गांव में सफाई नहीं होने की बात कहते हुए जितेन्द्र, उम्र 27, गुस्से में बताते हैं, “सफाई कभी होती ही नहीं हैं। मेरे सामने तो आज तक कभी कोई सफाई कर्मचारी सफाई करने नहीं आया।” वह 10 साल से सफाई नहीं होने की बात कहकर बोलते हैं, “अगर सफाई हो तो ये बीमारियां थम जाएंगी।”
मुढ़ारी गांव में हो रही इन मौतों पर स्वास्थ्य विभाग जानकारी न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैतपुर के स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ पी के सिंह राजपूत पांच बच्चों की मौत पर बोलते हैं, “हमें इसकी जानकारी नहीं है। अब कुछ पता चला है तो हम गांव में जाकर देखते हैं।” वह इन बीमारियों का कारण गांव में सफाई नहीं होना बताते हैं। वह आगे बताते हैं, “तीन महीने से स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव में जा रही है। पर मच्छरों से होने वाली बीमारी तो 20 दिनों के अन्दर ही ज्यादा फैल रही हैं। अभी तक हमारे पास चिकनगुनिया और मलेरिया के 250 मरीज रोज आ रहे हैं।”
खबर लहरिया की रिपोर्टर जब दुबारा मुढ़ारी गांव में जाकर स्वास्थ्य विभाग के काम को देखने गईं तो वहां अभी तक भी स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आई है।
मृतक गायत्री चाचा जगरनाथ अपने घर में चार लोगों को मौसमी बुखार होने की बात कहते हैं। गांव में मच्छरों को कम करने की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है। वहीद मोहम्मद, मृतक शायदा के चाचा बताते हैं, इतनी मौतें हो जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग यहाँ हमें देखने भी नहीं आया।
इसी गांव की आशा कार्यकर्ता माया भी स्वास्थ्य विभाग के गांव में नहीं आने की बात को स्वीकारते हुए कहती हैं, “स्वास्थ्य विभाग वाले तो नहीं आते हैं यहां कभी।”
स्वास्थ्य विभाग को गांव की इन मौतों के बारे में दुबारा पूछने के लिए हम स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ.पी के सिंह राजपूत से मिलते हैं। वह दुबारा इसकी जानकारी नहीं होने की बात कहते हैं। वह एक नयी बात जोड़ देते हैं कि उन्होंने मुढ़ारी में जांच कराई पर वहां एक ब्रेन ट्यूमर से मरी बच्ची की जानकारी मिली, इतना कहकर इस मुद्दे को वे खत्म करना चाहते थे। पर हमारे बार-बार गांव में मरे पांच बच्चों की बात कहने पर वह एक बार फिर मच्छरों को मारने की दवा छिड़कने की बात कहकर चुप हो जाते हैं। सभी गांवों में छिड़काव एक टीम से करने के कारण ये देरी हो रही है। छिड़काव टीम जल्द ही मुढ़ारी गांव में आएगी, इस बात का आश्वासन स्वास्थ्य अधीक्षक से हमें मिलता है।
मुढ़ारी गांव में इन पाँच मौतों के बाद लोग डरे हुए हैं, पर उन्हें नहीं समझ आ रहा है कि इन बीमारियों को कैसे रोका जाए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग और सफाई कर्मचारी की लापरवाही से ये बीमारियां फैलती ही जा रही हैं और इस बात की जानकारी नहीं है कहकर स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारियों से लगातार बच रहा है।
रिपोर्टर- श्यामकली
13/10/2016 को प्रकाशित