बुन्देलखण्ड इलाका की खराब सड़के आयें जायें वाले आदमियन के लाने भारी मुश्बित बनी हे। उत्तर प्रदेश सरकार चुनाव से पेहले बिजली, पानी ओर सड़कन की पूरी भरपाई को वादा करत हे। पे देखो जाये तो महोबा जिला के गांव में सड़क पानी ओर बिजली की व्यवस्था जेसी की जेसी बनी हे। सरकार के कार्यकाल के तीन साल पूरे हो गये हे पे गांवन की सड़के ओर जर-जर होत जात हे। महोबा जिला के कबरई, चरखारी, जैतपुर ओर पनवाड़ी की सैकड़न गांवन खा जोड़े वाली सड़कन ने गड्ढन को रूप ले लओ हे।
सवाल जा उठत हे की ई सड़कन में सरकारी कर्मचारी ओर प्रधान कोनऊ ध्यान काय नई देत हे। जभे की आदमियन ने लिखित दरखास शासन प्रशासन खा दओ हे। जभे चुनाव आउत हे तो नेता, मंत्री, ओर प्रधान पेहले सड़क की परेशानी दूर करें को वादा करत हे। चुनाव जीते के बाद ऊं जनत की बात खा काय भूल जात हे?
ताजा उदाहरण चरखारी ब्लाक के कांकुन, इमिलिया डांग ओर सोहजना गांव की सड़क बीस साल से खराब परी हे। कबरई से सुरहा तक जोड़े वाली सड़क लभगभ पांच साल से बारह किलोमीटर की दूरी सड़क खराब परी हे। बरसात में रास्ता ओर तालाब एक जेसे समझ में आउत हे। रास्ता में चले वाले आटो जा फिर जीप बीस से तीस सवारी के बीच में बिठा के ले जात हे।
सोचे वाली बात जा हे की शासन की आंख्न में पर्दा परो हे। न सड़क बनवाये को ध्यान हे ओर न वाहन चालक पे।
अगर एक गाड़ी पलटत हे तो पचीस अदमी की जान खतरे में हो सकत हे जीखो ईखो जिम्मेंदार कोन हे। सवारी, वाहन चालक जा फिर शासन?
आदमी की मजबूरी हे काय से बिमार हे जा फिर कोनऊ भी इमरजेंसी आने जाने हे, साधन भी ज्यादा नईं चलत तो आदमी बेठ के आउत जात हे। पे जभे नियम ओर प्रशासन हे तो ध्यान देय खा चाही?