जिला महोबा, शहर महोबा इते को इतहासिक और मशहूर कजली मेला पानी और प्रशासन के मारे जा बार फीको रओ।
महाप्रताप ने बताई के हम दो साल से इते दुकान लगा रए मौसम के मारे जा बार मेला एक दम घाटे में चलो गओ एसो अबे तक नई भाव। और अब तो पहले से इते भोत परेशानी भी होन लगी। जगा लेबे के लाने तीन चार दिना पहले आने परत और लाइन लगत जगा के लाने सो अगर लाइन लगाये और जब तक नंबर आओ सो कओ कछु हो गयो सो लाठी मारन लगत प्रशासन। अब तो रुपईया भी लगन लगे कोऊ के पच्चीस सौ कोऊ के पांच सौ अब सब के रुपईया लग गये लेकिन फायदा कोई को नईया काय के कछु बिक्री हो नई रही। परेशानी तो अब जो हे के जे रुपाई केसे निकारे इतने सबके लगे हे। अब हम ओरन को केसे खर्चा निकर हे।
महोम्मद ने बताई के हम सर्कस कि दुकान लगाय ते जी में बच्चन को मनोरंजन को सामान हे। लेकिन प्रशासन ने पहले ही दिन रोक लगा दई ती। अब आदमी हे सो आ नई रहे। सबसे इतहासिक मेला और जा बार एक दम फीको पर गओ। कछु फायदा नई भई जा बार। पूरो खर्च तक नई निकर ने। जितने आदमियन के खर्च हो गये। जो छोटी दुकान वाले हे बे तो और ज्यादा घाटे में चले गए।
महाप्रताप ने बताई के हम दो साल से इते दुकान लगा रए मौसम के मारे जा बार मेला एक दम घाटे में चलो गओ एसो अबे तक नई भाव। और अब तो पहले से इते भोत परेशानी भी होन लगी। जगा लेबे के लाने तीन चार दिना पहले आने परत और लाइन लगत जगा के लाने सो अगर लाइन लगाये और जब तक नंबर आओ सो कओ कछु हो गयो सो लाठी मारन लगत प्रशासन। अब तो रुपईया भी लगन लगे कोऊ के पच्चीस सौ कोऊ के पांच सौ अब सब के रुपईया लग गये लेकिन फायदा कोई को नईया काय के कछु बिक्री हो नई रही। परेशानी तो अब जो हे के जे रुपाई केसे निकारे इतने सबके लगे हे। अब हम ओरन को केसे खर्चा निकर हे।
महोम्मद ने बताई के हम सर्कस कि दुकान लगाय ते जी में बच्चन को मनोरंजन को सामान हे। लेकिन प्रशासन ने पहले ही दिन रोक लगा दई ती। अब आदमी हे सो आ नई रहे। सबसे इतहासिक मेला और जा बार एक दम फीको पर गओ। कछु फायदा नई भई जा बार। पूरो खर्च तक नई निकर ने। जितने आदमियन के खर्च हो गये। जो छोटी दुकान वाले हे बे तो और ज्यादा घाटे में चले गए।
रिपोर्टर- सुनीता प्रजापति
01/09/2016 को प्रकाशित
मेले का रंग रहा बेरंग
महोबा का मशहूर कजली मेला इस साल बारिश और प्रशासन की मार की वजह से रहा सूना