अब हर हफ्ते खबर लहरिया में पढ़ें महिला पत्रकारों की कुछ खास खबरें। राजनीति, विकास, संस्कृति, खेल आदि की ये खबरें देश के कोने-कोने से, छोटे-बड़े शहरों और अलग-अलग गांवों से हैं। इस हफ्ते, पढ़ें रिज़वाना तबस्सुम की खबर बनारस से। रिज़वाना तबस्सुम ने इसी साल पत्रकारिता में एम.ए. की पढ़ाई पूरी की और इस समय एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रही हैं।
22 नवंबर को केरल की एक पत्रकार वी पी रजीना ने फेसबुक पर बचपन में मदरसे में हुए यौन शोषण के अपने अनुभव को लिखकर फेसबुक में पोस्ट किया। रजीना ने अपनी पोस्ट में लिखा कि कैसे उनके उम्रदराज उस्ताद लड़के और लड़कियों के साथ यौन शोषण करते थे। रजीना का ये सब लिखना था कि उनकी फेसबुक पर भद्दी गालियों की बौछार होने लगी। मामला इतना बढ़ गया कि कई लोगों ने शिकायत करके दो बार रजीना का फेसबुक पेज भी ब्लॉक करा दिया। लोगों ने कहा कि यह धर्म पर हमला है। रजीना का कहना है कि उन्होंने किसी एक धर्म पर उंगली नहीं उठाई, बस अपने अनुभव को व्यक्त किया।
ये अनुभव सिर्फ रजीना का ही नहीं है। मैं बनारस में सन 2000 में सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ती थी। मेरी ही कक्षा में एक और लड़की भी पढ़ती थी, वह मुझसे सीनियर थी। एक दिन लंच के बाद मास्टर ने उस लड़की को बुलाया। मैं भी उसके पीछे गई तो मैंने देखा कि मास्टर उस लड़की के साथ यौन शोषण कर रहे थे, उन्होंने लड़की को अपने ऊपर बैठाया हुआ था। जब मैं मदरसे में थी तो वहां पर भी ऐसी कई घटनाएं घटीं। अगर लड़की अपने घर में किसी से षिकायत करती है तो उसे पूरी क्लास के सामने पीटा जाता है।
अगर रजीना ने अपने बचपन की यादें फेसबुक पर लिख दीं तो क्यों लोगों को इतना ऐतराज़ होने लगा। महिलाओं के लिए ऐसे बहुत कम माध्यम होते हैं जहां वो अपने मन की बात या अपने साथ हुई यौन हिंसा की बात को रख सकें। धर्म के नाम पर जहां असहनीयता बढ़ती जा रही है वहीं एक महिला के सवाल उठाने पर धर्म और पितृसत्ता – दोनों को आघात पहुंचा है। हर किसी को हक है कि वह अपने मन की बात कर सके। अपनी राय आप भी रखिए, ताकि बात हो सके। गाली देकर किसी की आवाज को दबाने से बात कभी नहीं बनेगी।