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इस हफ्ते, उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले से पढ़ें खबर लहरिया रिपोर्टर की ये खबर।
जिला सीतामढ़ी, प्रखण्ड सोनबरसा, रीगा, और बथनाहा। सरकारी स्कूलों में मिलने वाली किताबें और पोषाक की राशि का इंतजार बच्चे महीनों करते हैं। कई बार तो आधा साल बीतने के बाद उन्हें किताबें और पोषाक की राशि मिलती है। कई बार ऐसा भी होता है कि पोषाक की राशि और किताबें मिलती ही नहीं। यहां के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में इस बार कुछ ऐसा ही हुआ।
यहां कक्षा एक और दो में पढ़ रहे बच्चों के लिए पोषाक की राशि नहीं आई। इस कक्षा में पढ़नेवाले बच्चों के मां बाप इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि दूसरी सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए पोषाक की राशि आ गई है। अब यह अभिभावक हंगामा कर रहे हैं।
सोनबरसा के प्राथमिक और मध्य विद्यालय इन्दरवा के प्रधनाध्यापक भिखारी महतो और सीता देवी का कहना है कि सब वर्ग के बच्चों की छात्रवृत्ति आई है। लेकिन कक्षा दो और एक के बच्चों की नहीं आई है। जिस कारण इन बच्चों के अभिभावक रोजाना हंगामा करने स्कूल में आते हैं। अभिभावकों को लगता है कि इन बच्चों की पोषाक का पैसा मास्टरों ने खा लिया है। जबकि पैसा सरकार की तरफ से ही आया है।
रीगा के गांव कुसुमपुर बखरी के प्रधानाध्यापिका मृदुला किरण का कहना है कि हमने अपने स्कूल में छात्रवृति कि राशि वितरण नहीं की है। क्योंकि जब कुछ बच्चों को राशि नहीं मिलती तो अभिभावक बहुत हंगामा करते हैं। हमने बी.आर.सी. को आवेदन भेजा है। जब सारे बच्चों का पैसा आ जाएगा तभी हम राशि बांटेंगे।
सोनबरसा के प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी कामेश्वर पासवान का कहना है कि हमारे प्रखंड में एक सौ छियासी विद्यालय में बालकों की छात्रवृति नहीं आई है। कल्याण विभाग द्वारा कम आवंटन किए जाने के कारण यह स्थिति हुई है। जैसे ही पूरा पैसा यहां आएगा स्कूलों में भेज दिया जाएगा।