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इस हफ्ते, उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले से पढ़ें खबर लहरिया रिपोर्टर की ये खबर।
सीतामढ़ी जिले के सदर अस्पताल में 3 जून से लगभग चार हजार स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चित समय के लिए धरने पर हैं। यह संविदा कर्मचारी स्थायी किए जाने और सभी सरकारी सुविधाएं दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इनकी इस हड़ताल का असर जिले के आम लोगों की सेहत पर पड़ रहा है।
संविदा कर्मचारियों के संगठन के अध्यक्ष समेन्द्र ने बताया कि वह पहले भी प्रशासन के सामने अपनी मांगें रख चुके हैं। लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। प्रशासन की अनदेखी के कारण कर्मचारियों को यह कदम उठाना पड़ा। उनका कहना है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक हम हड़ताल पर रहेंगे।
अस्पताल में भर्ती रीता की मां ने बताया कि मेरी बेटी को 2 जून को बच्चा हुआ था। लेकिन आज सुबह यानी 3 जून से न तो आशा और न कोई नर्स ही इसे देखने आईं हैं। रीता को सुई लगाई जानी थी लेकिन नहीं लगाई गई।
सुरसंड की संगीता का बच्चा खराब हो गया था जिसकेे कारण वह सफाई करवाने आई थी। संगीता ने बताया कि इतनी दूर से आना भी हमारा बेकार गया। यहां न तो डाक्टर हैं और न ही नर्स। हम तो इतना रुपया भी नहीं लाए कि किसी प्राइवेट अस्पताल में जा सकें। अब कल यानी 4 जून को दोबारा आकर किसी प्राइवेट अस्पताल में जाएंगे। यहां तो यह काम मुफ्त में हो जाता जबकि प्राइवेट में इसमें तीन हजार रुपए का खर्च आएगा।
सी.एम.ओ. दयानन्द मल्लिक का कहना है कि हड़ताल का असर तो मरीजोें पर पड़ ही रहा है। कर्मचारियों से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। कोई कर्मचारी काम करने को तैयार नहीं है। जब सी.एम.ओ से पूछा गया कि इमरजेंसी की स्थिति में अगर कोई मरीज आ जाए तो क्या करेंगे? उनका कहना था कि हम कोशिश ही कर सकते हैं कि किसी डाक्टर को इलाज के लिए तैयार करें।