लखनऊ। हालांकि सुनने में ये अजीब लगता है मगर गांवों में जो लोग फल सब्ज़ियां अनाज उगा रहे हैं उन्हें महंगाई की मार शहरों में रहने वालों से ज़्यादा झेलनी पड़ती है। जबकि शहरों में बढ़ती महंगाई को लेकर शोर शराबा ज़्यादा मचा रहता है, खासकर आजकल के चुनावों के दिनों में।
यही बात निकल कर आई एसोचैम द्वारा किए गए एक अध्ययन में। इस अध्ययन में निकल कर आया कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सब्ज़ियों के दामों में हुई बढ़ोतरी में भारी अंतर था। फरवरी 2014 में ये बढ़ोतरी ग्रामीण इलाकों में सालाना सत्रह प्रतिशत थी जबकि शहरों में ये सालाना साढ़े सात प्रतिशत भी नहीं थी। फलों के मामले में भी कुछ ऐसा ही था। जहां ग्रामीण इलाकों में महंगाई में सालाना बढ़ोतरी 17.32 प्रतिशत थी, शहरों में ये दर 13.62 थी। ये सब इसके बावजूद कि खेत और बाग दोनों ही ग्रामीण इलाकों में होते हैं।
अध्ययन के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में ज़्यादा दाम के कारण वह माल रखने के लिए भंडारण के लिए जगहों की कमी हो सकती है। पहले सारा माल शहरों में जाकर इकट्ठा होता है और फिर वहां से वापस आता है।