एक समय था जब गांवों में सबसे बड़ी खुशी की खबर होती थी किसी के घर मनी आॅर्डर का पहुंचना। ना जाने कितनी पुरानी हिन्दी फिल्मों में घर के बुज़ुर्ग का इलाज, बच्चों के स्कूल की फीस और कर्ज़ा चुकाने के लिए लोग शहर से अपने कमाने वाले बेटे या बेटी से मनी आॅर्डर आने की ताक लगाए बैठे रहते थे। अब तो गए वो पुराने दिन…
पहले टेलीग्राम और अब मनी आॅर्डर – एक एक करके टेक्नाॅलजी सभी पुरानी चीज़ों को खत्म करती जा रही है। 1 अप्रैल 2015 से एक सौ पैंतिस साल से चली आ रही मनी आॅर्डर सुविधा को भारतीय डाक विभाग ने बंद कर दिया।
नेट बैंकिंग और फोन तक से जिस ज़माने में पैसा एक खाते से दूसरे में ट्रांसफर हो जाता हो, उस ज़माने में मनी आॅर्डर का क्या काम? लेकिन कई लोगों की यादों का एक अहम हिस्सा बना रहेगा मनी आॅर्डर।
पुराने मनी आॅर्डर की जगह अब इलेक्ट्राॅनिक मनी आॅर्डर की सुविधा लोगों को दी जाएगी। इस सुविधा के ज़रिए लोग तुरंत पैसा ट्रांसफर कर पाएंगे।
अंग्रेज़ों के ज़माने की ये सुविधा साल 1880 में शुरू की गई थी और सौ सालों से ज़्यादा तक लाखों लोग इसका इस्तेमाल करते आ रहे थे।