जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी, गांव अकबरपुर नई दुनिया। हिंया के रामबाई का मनसावा राजू तीन बरस पहिले परदेश कमाये खातिर गा रहै। तबै से आजौ तक लउट के नहीं आवा हवै। या कारन वा बहुतै परेशान रहत हवै। यहिके दरखास अबै तक कत्तौ नहीं लिखाइगे हवै।
रामबाई का कहब हवै कि दुइ बेटवा अउर चार बिटिया हवैं। मनसवा या कहिके परदेशा कमाये खातिर गा रहै कि मैं हुंवा से रूपिया कमा के लइहौं रूपिया कमा के लावैं के बात तौ दूर वा लउट के नहीं आवा हवै। पता नहीं लागत कि वा जिंदा भी हवै कि मरगा हवै। कत्तौ फोन भी नहीं करत हवै। घर का खर्चा तौ रूकत नहीं हवै। यहै से पहाड़ के गिट्टी ठेला मा भरत हौं। एक ठेला मा गिट्टी भरैं मा दिन भर लाग जात हवै। वहिमा एक सौ सत्तर रूपिया गिट्टी भरैं का मिलत हवै। वहिसे घर का खाना खर्चा चलावत हौं। मैं गरीब मेहरिया कहां जाव अउर केहिसे आपन बीती बताव। अबै तक यहिके दरखास कत्तै नहीं लिखाये हौं। भगवान के ऊपर भरोसा कीने बइठ हौं। या चिंता मोहिका रात दिन सताये रहत हवै कि एक दिन मोर मनसवा जरूर आई।
मनसवा हवै लापता
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