चित्रकूट जिला मा पांच ब्लाक हवैं। इं ब्लाक के गांव मा मड़इन का मनरेगा के तहत काम नहीं मिलत हवै। या कारन मड़ई परदेश कमाये खातिर जाये का मजबूर हवै। यहिकर उदाहरण ब्लाक मानिकपुर, गांव चूल्ही अउर डांड़ी हवै।
इं दूनौ गांव के आबादी लगभग पांच हजार हवै। पंाच हजार मड़इन का मनरेगा मा काम नहीं मिलत हवै। मड़ई आपन घर परिवार वालेन का खर्चा चलावैं खातिर परदेश जात हवै तौ मेहरिया जंगल से लकड़ी काट के बेंचत हवै। आखिर या समस्या तौ बहुतै गम्भीर हवै। परदेश जाये के कारन मड़ई अपने परिवार वालेन से दूर रहत हवैं। साथै मेहरिया अपने बच्चन का छोड़ के जंगल से लकड़ी काट के बेंचत हवै। अगर मड़इन का मनरेगा के तहत काम मिलै तौ इनतान के समस्या से छुटकारा मिल सकत हवै। काम के खातिर अगर प्रधान, बी.डी.ओ. अउर ब्लाक प्रमुख से कहा जात हवै तौ उई बजट न होय का बहाना कइके टाल देत हवै कि अबै कउनौ काम नहीं हवै। अब सवाल या उठत हवै कि का सरकार गांव मा विकास करावै खातिर कउनौ काम के तहत बजट नहीं देत हवै? या फेर कउन कारन हवै कि मड़इन का मनरेगा के तहत काम नहीं मिलत हवै। या बात के जवाबदेही सरकार का प्रधान, बी.डी.ओ. से लें के जरुरत हवै। तबहिने इनतान के गम्भीर समस्या खतम होइ सकत हवै। या बात का इंतजार मड़इन का बेचैनी से हवै।