जिला ललितपुर, गांव रमेसरा मनरेगा के तहत बीस घरन में कम से कम सत्तर प्रतिशत परिवारन को या तो काम मिलत ही नइया या फिर काम मिलत भी हे तो बाके रुपईया ही नइ मिलत।
ललितपुर के रमेसरा गांव के आदमियन के अनुसार उने दो साल से मनरेगा के रूपईया ही नइ मिलत।
शोभारानी ने बताई के हमने इक्कीस दिना काम करो तो तो। अबे भी हमाए बारह सौ रुपईया रे गए। हम दोई आदमियन ने करो तो। सब जनन ने कई के फोटो जमा कर दो तो मिल जेहे रुपईया हमने जमा भी करी लेकिन नइ मिले। फिर हमने प्रधान से कई सो बोले के हमने तुमाई पासबुक को खातो लगा दओ अब बामे आ जेहे।
जानकी बाई ने बताई के हमने पांच दिना काम करो तो और तीन दिन की हाजरी भरी हमाई अपने रजिस्टर पे चढ़ा लई ती। जाब कार्ड की कओ सो कत के बनवा देहे बनवा देहे। और दो बार फोटो भी ले गये लेकिन अबे तक नइ बनवाओ।
मोहन ने बताई के हमने मंदिर से लेके सड़क तक काम करो बामे से हमे आधे को रुपईया मिले आधे के अबे तक नइ मिले। और जो हमाओ जाब कार्ड हे बापे प्रधान जी हाजरी नइ चढ़ात अपने रजिस्टर पे चढ़ा लेत हम कत सो कत के चढ़ा देहे बाद में।
हमने जो काम गर्मियन में करो तो बाके तो आधे रुपईया मिल गये। और जो ठंडन में करो बाके अबे बिलकुल भी नइ मिले। प्रधान से बोलो सो कत के अबे टेम लगे थोड़ो रुपईया रुको हे।
सिया रानी ने बताई के हमने खंती खोदी ती जीमे से हमे उन्नीस सौ रुपईया मिले और अबे हमाय छह हजार रुपईया रुके।
प्रभू दयाल प्रधान ने बताई के मनरेगा को काम जून के महीना से बंद हे। जल्दी बरसात शुरू होबे के मारे मनरेगा को रुपईया नइ आओ सब गांव में और मनरेगा वालिन की जई शिकायत हे। कत के अब जो काम चुनाव बाद शुरू हो हे।
रिपोर्टर- सुषमा
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