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मध्यान भोजन पर अब आयल ध्यान

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इ हई सच्चाई

मध्यान भोजन जे बच्चा के पोषण के लेल चलायल गेल हई। लेकिन एकर दूषपरिणाम सबके सामने हई। एतना दिन से त लापरवाही पर केकरो ध्यान न रहई लेकिन अब एतना बच्चा कें बली देला के बाद  जाँच पर  जाँच चल रहलहई।
छपड़ा अउर मधुबनी में भेल घटना के बाद बच्चा विद्यालय में मध्यान भोजन खाय से कतरा रहल छथिन। सब के मन में दहसत भरल हई। 2001 से मध्यान भोजन चल रहल हई। अइसन न हई कि अइसे पहिले मध्यान भोजन के गुणवत्ता के कमी से बच्चा बिमार न परल छथिन। लेकिन एई से पहिले केकरो ध्यान न रहलइय। अब अइ पर सवाल इ उठई छई कि जब तक कोई बड़का घटना न होई छई तब केकरो ध्यान न अवई छई।
मध्यान भोजन के सामान शिक्षक के घर में कयला रहई छई? अगर भवन न हई त विद्यालय में कक्षा के साथ ही रसोई घर कयला न बनईछई? बच्चा के खाय से पहिले ओई खाना के जांच कयला न होई छई ? एइ धटना के देख के एइसन केतना सवाल उठइ छइ, जेकर जवाब देवे से अधिकारी भी कतरा रहल छथिन। जे बैठक,  जाँच अधिकारी सब अभी कर रहल छथिन उ अगर पहिले भेल रहतियई त इ घटना न होइतियई।