पुदुचेरी। दक्षिण भारत के पुदुचेरी शहर से कुछ दूर स्थित एक गांव कलीथीरथलकुप्पम में एक मंदिर है, द्रौपदी अम्मन यानि महाभारत में पांडवों की पत्नी बनी द्रौपदी इस मंदिर की देवी हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह देवी उनके गांव को सुरक्षित रखती हैं।
मंदिर के अंदर ऊंची समझी जाने वाली जाति के लोग ही जा सकते हैं। नीची समझी जाने वाली जातियों के लोग इस मंदिर में नहीं जा सकते हैं। 22 सितंबर को गांव में इस बात को लेकर एक पंचायत भी हुई। मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी की छुआछूत के खिलाफ काम करने वाली शाखा ने इस मुद्दे को उठाया। इस भेदभाव के खिलाफ अब एक आंदोलन छेड़ा गया है। पार्टी के सदस्यों का कहना है कि 30 सितंबर को मंदिर में दलितों के प्रवेश पर लगी रोक को खत्म किया जाएगा। इसी दिन छुआछूत के खिलाफ काम करने वाले राजनेता और समाज सेवक बी. श्रीनिवासन राव की मौत हुई थी। इस गांव के अड़सठ वर्षीय दलित जाति के एक बुजुर्ग ने बताया कि दस साल पहले तक इस मंदिर के दरवाजे़ हर जाति के लिए खुले थे। लेकिन ऊंची समझी जाने वाली जाति के लोगों ने एक संगठन बनाया। इस संगठन ने यह तय किया कि अब इस मंदिर में दलित नहीं जाएंगे।
भेदभाव के खिलाफ आन्दोलन
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