जिला महोबा, ब्लाक पनवाड़ी, गांव नौगांव, फदना। ई गांव मे तीन महीना के बाद भी भूसा नई पोहोंचो हे। जीसे जानवर भूख के मारे एते ओते भटकत फिरत हे। जिम्मेंदार अधिकारी भी कोनऊ ध्यान नई देत हे। अधिरियन के जवाब से लगत हे की ईखो लाभ सिर्फ कागज तक ही रेह गओ हे।
पूरनलाल, राजाराम ओर रामकिशन बताउत हे की हर गांव में दिसम्बर से भूसा बांटो जात हे। हमाये गांव एकऊं दइयां भूसा नई बटो हे। न ही गांव मे खेती बोई हे। जीसे जानवरन के खायें के लाने भूसा हो सके। हम लोगन के दो-दो, चार-चार जानवर हे, किते से पेट भरन। ई साल परिवार पालब मुश्किल परो हे। जानवरन की कोनऊ बाात नइयां। खाना ओर पानी के कारन खेतन मे आये दिन जानवर मरे दिखात हे।
रामाधीन ओर बलराम बताउत हे की हम लो दो किलोटर दूर से पत्ती काट के लाउत हे। जीखे गाय हें ओर दूध नईं देत हे तो छोड़ दओ हे। जीसे पास भैस हे ऊ नई छोड़ सकत हे। अगर बाजार में जानवरन खा बेंचत हे तो कोनऊ नई खरीदत हे। भैंस आधे के भाव व्यापारी वाले खरीदत हे। हम सोचत हे की अगर भूसा बंट जाये तो ठीक होहे। काय से जीखे घर मे नौकरी करत हे। ऊं भूसा भी खरीद सकत हे ओर दूध भी, पे गरीब के लाने अनाज मुश्किल परो हे।
पनवाड़ी पशु अस्पताल को डाक्टर रविन्द्र सिंह राजपूत बताउत हे की जित्तो भूसा मोंय मिलो हतो अत्तो मेनें बांट दओ हे। आदमी 20 किलो भूसा की मांग करत हे तो जा मोये हाथ को काम नोंय, कि आदमी जित्तो चाहे उत्तो बांटो जा सके। कित्तो भूसा बांटो गओ हे। जा बात खुद खा पता नइयां।
भूसा खत्म समस्या जेसी के तेसी
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