नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पास हो गया है। इसमें नौ बदलाव हुए हैं। लेकिन विपक्ष यानी कांग्रेस समेत दूसरे दलों का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के सुझाव ही माने हैं। इसलिए दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेता विधेयक पास होते समय सदन से बाहर निकल गए।
सरकार इन नौ अहम बातों पर राज़ी
1. सरकार सामाजिक आधारभूत सुविधाओं जैसे – स्कूल और अस्पताल के लिए ज़मीन लेने से पहले सत्तर फीसदी किसानों की अनुमति लेने को जरूरी बनाने पर राजी हो गई है।
2. जिन सामाजिक सुविधाओं के लिए ज़मीन दी जाएगी, उनका समाज पर क्या असर पड़ा, इसके आंकलन को जरूरी बनाने पर भी सरकार सहमत हो गई है।
3. जिन किसानों की जमीन ली जाएगी, उनकी शिकायतों को दूर करने की बेहतर व्यवस्था और ज़मीन अधिग्रहण से बेरोजगार हुए लोगों के रोजगार की व्यवस्था करने से जुड़े संशोधन को भी सरकार ने मान लिया है।
4. सरकार इस पर भी राजी हो गई कि किसी परियोजना के लिए कम से कम ज़मीन का अधिग्रहण हो और कितनी ज़मीन ली जाए, यह राज्य सरकार ही तय करे।
5. इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों का क्षेत्रफल तय करने संबंधी संशोधन को सरकार ने मान लिया है ताकि उन्हें ज़मीन लेने के मामले में वह अपनी मनमानी न कर सकें।
6. निजी परियोजना की परिभाषा बदलने पर भी सरकार तैयार है ताकि कोई इस सुविधा का गलत फायदा न उठा ले।
7. राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे लाइनों के दोनों तरफ एक-एक किलोमीटर तक ही ज़मीन का अधिग्रहण होगा।
8. किसानों को अपने जिले में शिकायत या अपील करने का अधिकार होगा।
9. बंजर ज़मीन का अलग रिकॉर्ड रखा जाएगा।