भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 12 सितंबर तक टल गई है।
इससे पहली सुनवाई में कोर्ट ने ट्रांजिट रिमांड की मांग को खारिज करते हुए गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को उनके घरों में नजरबंद रखने का आदेश दिया था।
गिरफ्तारियों को प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच लोगों ने चुनौती दी है। महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि प्रोफेसर सुधा भारद्वाज, वरवर राव, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वेरनन गोंजाविल्स ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में दलितों के कार्यक्रम में हिंसा को उकसाया था।
बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने बीती 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई तक हिरासत में लिये गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही घर में नजरबंद रखने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर इसे हटा दिया गया तो लोकतंत्र का प्रेशर कुकर फट जाएगा।