भारत में प्रति व्यक्ति सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हर वर्ष 1,112 रुपये खर्च किये जाते हैं, जो देश के शीर्ष निजी अस्पतालों में एक सलाह लेने की कीमत से काफी कम है, यह 93 रुपये प्रति माह मन जा सकता है या इसे रोजाना स्वास्थ्य उपचार में खर्च हुए 3 रुपये प्रति दिन की तरह भी देखा सकता है।
दरअसल, हाल ही में नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल के नए आंकड़े सामने आये हैं, जिसके अनुसार, भारत अपनी जीडीपी का मात्र 1% हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करता है। जबकि स्वीडन अपनी जीडीपी का 9। 2% हिस्सा और फ़्रांस 8। 7% स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं।
केंद्र सरकार का दावा है कि वह अपनी महात्वाकांक्षी योजना नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एनएचपीएस) के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये का मेडिकल कवर देने जा रही है।
आंकड़ों के अनुसार, साल 2015-16 में स्वास्थ्य पर हुआ कुल खर्च 140,054 करोड़ रुपये था।
एक अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में स्वास्थ्य पर भारत की प्रति व्यक्ति सार्वजनिक व्यय 621 रुपये से बढ़कर 2015-16 में 1,112 रुपये हो गई हालांकि, यह अभी भी अन्य देशों की तुलना में “नाममात्र” है।
स्विट्ज़रलैंड प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर 6944 डॉलर खर्च करता है, जबकि अमेरिका 4802 डॉलर और इंग्लैंड 3500 डॉलर खर्च करता है। एनएचपी में 2016-17 में किसी भी स्वास्थ्य बीमा के तहत यह पहली बार हुआ है जब 43 करोड़ व्यक्तियों या 34% आबादी को कवर किया गया है।
2017 के लिए डब्ल्यूएचओ की स्वास्थ्य वित्तपोषण प्रोफ़ाइल से पता चलता है कि भारत में स्वास्थ्य पर कुल व्यय का 67। 78% जेब से चुकाया जाता है जबकि यह दुनियाभर में औसत 18। 2% है। 2015-16 में स्वास्थ्य पर कुल सार्वजनिक व्यय 140,054 करोड़ रुपये था।
साभार: इंडियास्पेंड