न्यूयॉर्क स्थित गैर सरकारी संस्था ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ (सी पी जे), यानी पत्रकारों के सुरक्षा पर काम करने वाली संस्था ने विश्वभर में पत्रकारों के लिए सबसे खतरानाक देशों की एक सूची बनाई है, जिसमें 10 देशों की इस सूची में भारत का स्थान 9वाँ है। इस सूची में पहले स्थान पर चीन, दूसरे पर तुर्की और तीसरे स्थान पर मिस्र है।
2016 में दो भारतीय पत्रकारों की हत्या होने के कारण भारत को इस सूची में शामिल किया गया है। ये रिपोर्ट 1992 से 2016 तक में हुई हत्याओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। 2016 में दो भारतीय पत्रकारों की काम करते समय ही हत्या कर दी गई थी। ये थे हिन्दुस्तान टाइम्स के राजदेव राजन और जनादेश टाइम्स के करन मिश्रा और रपट में कहा गया हैं कि हत्या का कारण उनका काम था। 2016 में ही तीन अन्य भारतीय पत्रकारों की हत्या भी हुई थी पर उनकी हत्या का कारण साफ नहीं हो पाया है।
1992 से हुई सभी हत्याओं में से आधी हत्याओं का कारण राजनीति और भ्रष्टाचार की रिपोटिंग रहा है, जबकि आधे से भी आधे का कारण व्यापार सम्बंधित खबरे था।
1997 भारतीय पत्रकारों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साल रहा, जब 7 पत्रकारों की हत्या हुई थी और जिसका कारण उनका काम था। रिपोर्ट के अनुसार, 2012 में विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा पत्रकारों की हत्या की गई थी, जिनकी संख्या 74 थी।