निर्वाचित होने से पहले साल में दायर टैक्स रिटर्न में 72% भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के सांसदों ने दावा किया है कि उनकी आय 10 लाख रुपए से कम है। यह जानकारी 4,910 में से 4848 सांसदों और विधायकों द्वारा दायर हलफनामों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।
विश्लेषण में पाया गया है कि देश भर में कम से कम 75% सांसद और विधायकों ने अपनी सालाना आय 10 लाख रुपए से कम घोषित की है। करीब 35% विधि निर्माताओं ने अपनी सालाना आय 2.5 लाख से कम बताई है। 40% ने सालाना आय 2.5 लाख और 10 लाख से बीच बताई है। कम से कम 1,141 या 24% सांसदों और विधायकों ने आयकर से छूट का दावा किया है या कोई आय न होने की बात कही है।
संसद में आयकर डेटा साझा करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि वर्ष 2015-16 में 3.7 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दायर किया है। जिसमें 99 लाख यानी 27% लोगों ने अपनी सालाना आय 2.5 लाख रुपए की छूट सीमा से कम बताया है। 195 लाख या 53% लोगों ने अपनी सालाना आय 2.5 लाख रुपए और 5 लाख रुपए के बीच बताई है, जबकि 76 लाख लोगों या 20% ने अपनी सालाना आय 5 लाख रुपए से ज्यादा बताई है।
यदि परिवार की वार्षिक आय यानी पति या पत्नी, आश्रित की उनके टैक्स रिटर्न में घोषित आय को सांसदों और विधायकों की आय में जोड़ा जाता है, तो 62% विधायकों के घरों की आय 10 लाख रुपए से कम है।
भारत के करीब आधे (2,410) सांसदों और विधायकों ने 2 करोड़ रुपए से अधिक की घरेलू संपत्ती की घोषणा की है। जिनमें से 38% यानी 912 सांसदों और विधायकों ने 10 लाख रुपए से कम की परिवार आय होने की बात कही है। यहां घरेलू संपत्ति का मतलब है. निर्वाचित सदस्य, पति या पत्नी और आश्रित की चल और अचल संपत्ति।
10 लाख रुपए से अधिक की पारिवारिक आय के साथ वाले 1,843 सांसदों और विधायकों में से 106 ने 1 करोड़ से कम की घरेलू संपत्ति की घोषणा की है।
4848 सांसदों में से केवल एक चौथाई सांसदो / विधायकों ने 10 लाख रुपए से ज्यादा की आय की घोषणा की है जबकि केवल 25% सांसदों और विधायकों यानी 4848 में से 1,236 ने अपने टैक्स रिटर्न में अपनी वार्षिक आय 10 रुपए से ज्यादा होने की घोषणा की है। 35% ने यानी 4848 में से 1,676 ने बताया है कि उनकी आय 2.5 लाख रुपए से कम है।
क्षेत्रीय पार्टियों में सपा के 83%, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के 78%, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के 68% और बीजू जनता दल (बीजद) के 80% सांसद और विधायक ने 10 लाख रुपए से कम आय की घोषणा की है।
हालांकि, 63% लोकसभा सांसदों ने 10 लाख रुपए से कम वार्षिक आय की घोषणा की है, जबकि केवल 13% राज्यसभा सांसदों ने 10 लाख रुपए से कम वार्षिक आय की घोषणा की है। राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के करीब 80% विधायकों ने 10 लाख रुपए से कम वार्षिक आय की घोषणा की है।
कम से कम 1,676 यानी 35% निर्वाचित प्रतिनिधियों ने 2.5 लाख रुपए से कम वार्षिक आय की घोषणा की है। इनमें से 1,141 (24%) ने चुनाव आयोग को सूचना दी है कि विभिन्न आधारों पर उन्हें आयकर से छूट दी गई है। जैसे कि किसान होने के नाते, या फिर संविधान की छठी अनुसूची में दर्ज इलाकों से होने की वजह से- जैसे कि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों से होने की वजह से उन्हें आयकर से छूट दी गई है। या फिर उन्होंने किसी प्रकार का आय, न होने की घोषणा की है।
केवल 38% विधायकों (4848 में से 1,843) ने कहा कि उनकी परिवार की वार्षिक आय 10 लाख रुपए से ज्यादा थी। जबकि 28% (4848 में से 1,343) ने 2.5 लाख रुपए से कम पारिवारिक आय बताई है।
भारत के निर्वाचित प्रतिनिधियों में से आधे ने 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की घरेलू संपत्ति की घोषणा की है, जबकि 28% ने 5 करोड़ रुपए से ज्यादा घरेलू संपत्ति होने की घोषणा की है। कम से कम 70% सांसद एवं विधायकों ने 1 करोड़ से ज्यादा संपत्ति की बात स्वीकार की है।
हालांकि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा घोषित संपत्तियों का आकलन बाजार मूल्य पर किए जाने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन अचल संपत्ति का मूल्यांकन अक्सर कम होता है, जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस ने दिसंबर 2013 में अपनी रिपोर्ट में बताया है।
1,843 निर्वाचित प्रतिनिधि, जिन्होंने 10 लाख रुपए से ज्यादा की वार्षिक आय की घोषणा की है, उनमें से 345 (1,843 का 19%) ने 2 करोड़ से कम परिसंपत्ति की घोषणा की है। 903 सांसदों और विधायकों ने परिवार की आय 10 से 20 लाख रुपए के बीच होने की घोषणा की है। इनमें से 410 ने 50 लाख से ज्यादा पारिवारिक आय की घोषणा की है।
साभार: इंडियास्पेंड