इसरो के पूर्व प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रो यू आर राव का निधन हो गया। राव को इस साल की शुरुआत में दिल की बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने देर रात 2.30 बजे अंतिम सांस ली।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष यूआर राव को इसी साल पदम विभूषण सम्मान दिया गया था। उडुपी रामचंद्रन राव को भारत की अंतरिक्ष और उपग्रह क्षमताओं के निर्माण और देश के विकास में उनके अनुप्रयोगों का श्रेय जाता है। उन्होंने 1972 में भारत में उपग्रह प्रौद्योगिकी की स्थापना की जिम्मेदारी ली थी।
राव को उनके काम के लिए इस साल जनवरी में ‘पद्म विभूषण‘ प्रदान किया गया था। पुरस्कार मिलने के बाद हेब्बर ने कहा था कि उन्होंने सोचा था कि ये पुरस्कार उन्हें ‘मरणोपरांत‘ मिलेगा।
उडुपी के एक छोटे से गांव आदमपुर में जन्मे प्रोफेसर राव भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से सतीश शावन और विक्रम साराभाई के समय से जुड़े थे। 1984 से 1994 के बीच उन्होंने दस साल के लिए इसरो के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।
यूआर राव के निर्देशन में 1975 में पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट से लेकर 20 से अधिक उपग्रहों को तैयार किया गया और अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। इनमें भास्कर, एप्पल, रोहिणी, इनसैट-1, इनसैट-2 जैसी सेटेलाइट्स शामिल हैं।
राव ने भारत में प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी का भी विकास तेज किया, जिसके परिणामस्वरूप 1992 में एएसएलवी का सफल प्रक्षेपण किया गया। इतना ही नहीं, उन्होंने प्रसारण, शिक्षा, मौसम विज्ञान, सुदूर संवेदी तंत्र और आपदा चेतावनी के क्षेत्रों में अंतरिक्ष तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा भी दिया।
राव ने बीएचयू से एमएससी की पढ़ाई के बाद महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के निर्देशों में गुजरात विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी। उनके काम से प्रभावित होकर सरकार ने अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान के लिए 1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। विदेशों में उनके काम को लोगों ने काफी सराहा और उन्हें 10 से ज्यादा इंटरनेशनल अवॉर्ड मिले।