भारत में राजनीती का माहौल कुछ अलग सा है आज कल नेता जेल जा रहे हैं। ऐसे अध्यादेश का विरोध हो रहा हैं जो नेताओं को कानून से परे कर देता है और जनता को नए अधिकार दिए जा रहे हैं, जैसे वोट न डालने का अधिकार। कुछ का कहना है की एक जागरूक लोकतंत्र में ऐसी उथल पुथल जरूरी है। पर नेताओं को अपनी सत्ता फिसलती नज़र आ रही है। दोषी नेताओं को न ही चुनाव लड़ने दिया जाएगा और न ही उन्हें सत्ता में रहने दिया जाएगा यानी अपराधी नेताओं को उनकी कुर्सी से निकाल दिया जाएगा। ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं जिसमे दोषी नेता नहीं हैं। राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव को जेल हो चुकी है। भाजपा के अमित शाह, बाबू बोखारी, माया कोदनानी और दीनू सोलांकी जैसे वरिष्ट नेताओं पर तलवार लटक रही है। कांग्रेस भी इस कानून से बच नहीं पाएगा। कांग्रेस सांसद रशीद मसूद भी जेल की हवा खाएंगे अगले 4 साल के लिए। ये अध्यादेश सब पार्टियों के लिए खतरनाक है। खासकर राज्य स्तर की पार्टियाँ जिसमे आयेदिन अपराधी नेता मिलते हैं। ये कदम राजनीति को अपराध और भ्रष्टाचार से साफ़ करने के लिए सही साबित हो सकता है। अब उम्मीद यही है की इस का भी जुगाड़ निकालकर गलत लोग सत्ता में न आये। एक जागरूक लोकतंत्र को ज़्ारुरत है सख्त कानून की जो सबके लिए एक सामान हो, चाहे वो आम नागरिक हो या फिर कोई नेता। जवाबदेही अब और होगी और सत्ता का गलत इस्तेमाल कुछ कम होगा।
भारत एक जागरूक लोकतंत्र
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