काठमांडू, नेपाल। नेपाल में आए भूकंप की भारतीय मीडिया द्वारा रिपोर्टिंग पर लोग बेहद नाराज है। इंटरनेट पर नेपाल के लोगों की तरफ से 1 मई से ‘गो होम इंडियन मीडिया’ या ‘भारतीय मीडिया घर जाओ’ का नारा चल रहा है।
लोग क्यों हैं नाराज़
नेपाल के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने बताया कि भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग संवेदनशील नहीं थी। लोगों से पूछे जाने वाले सवाल लोगों के घाव पर नमक छिड़कने का काम कर रहे थे।
काठमांडू के एक वरिष्ठ पत्रकार सी.के. लाल ने बताया कि भारतीय मीडिया इस पूरी घटना को एक टी.वी. धारावाहिक की तरह कवर रही थी। भारतीय मीडिया के पास यहां के बुनियादी ढांचे और प्रशासन की कोई जानकारी नहीं थी। वह लगातार गलत जानकारी लोगों तक पहुंचा रही थी।
मीडिया लोगों और यहां के प्रशासन के साथ ऐसे बात कर रही थी कि मानो भारत देश एक महान देश है। नेपाल में करीब तैंतिस देशों से राहत पहुंच रही थी। मगर भारतीय मीडिया लगातार केवल भारत द्वारा की जा रही मदद को बढ़ा चढ़ाकर दिखा रहे थे। इसमें भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम की माला जपी जा रही थी। वहीं के एक दूसरे पत्रकार युवराज घिमिरे ने बताया कि भारतीय मीडिया लगातार नेपाल को ‘नन्हा देश’ कहकर पुकार रही थी। जबकि नेपाल तीन करोड़ लोगों का देश है। दुनिया के चालीस बड़े देशों में नेपाल शमिल है। भारतीय मीडिया की खबरों का एक असंवेदनशील उदाहरण तब देखने को मिला जब वहां पहुंची राहत सामग्री पर नेपाल के लोग झपट पड़े। उसके बाद भगदड़ सी मच गई। एक औरत उस भगदड़ में दबी रही। पर पत्रकार उसे निकालने की कोशिश की जगह उसपर खबर करते रहे। भारतीय मीडिया ने भूकंप से प्रभावित लोगों से कुछ ऐसे सवाल पूछे कि उनके परिवार के कितने लोग मरे हैं? किसी के सिर खून निकल रहा है तो पत्रकार ने पूछा आपको कैसा लग रहा है?
पुराने कपड़े और बचा हुआ खाना मत भेजिए
नेपाल देश को भारत से मदद के रूप में इस्तेमाल किए हुए कपड़े और बचा हुआ खाना नहीं चाहिए। नेपाल सरकार ने भारत सरकार को यह साफ कर दिया है। 5 मई को भारत के बिहार राज्य और नेपाल देश के करीब पड़ने वाले एअरपोर्ट बिरगुंज में हवाई जहाज से कुछ राहत सामग्री भेजी जानी थी। नेपाल के अधिकारियों ने सामान की जांच करने के बाद उसे वापस कर दिया। इसमें कुछ खाने का सामान, कपड़े शामिल थे। वहां इन चीजों को लेकर पहुंचे भारतीय अधिकारियों ने बताया कि नेपाल सरकार के अधिकारियों ने साफ कह दिया कि भूकंप से प्रभवित लोगों को प्लेट में बचा हुआ खाना नहीं परोसना चाहिए। सारी राहत सामग्री भारत को वापस लौटा दी गई।