भारत के बनारस शहर में पैदा हुए और मेक्सिको देश के निवसी वनस्पति वैज्ञानिक डाक्टर संजय राजाराम को अमेरिका के ‘वर्ल्ड फूड प्राइज़’ से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें गेहूं की फसल में सुधार लाने के लिए दिया जा रहा है। लगभग पंद्रह करोड़ रुपए की राशि भी इस पुरस्कार का हिस्सा है।
डाक्टर संजय राजाराम ने चार सौ अस्सी से भी ज़्यादा अच्छी पैदावार, मौसम के अनुकूल अपने आप को ढाल लेने वाली गेहूं की जातियां विकसित की हैं। इन्हें इक्यावन देशों में पैदा किया जा रहा है। राजाराम ने इस खास गेहूं को सर्दी और बसंत की फसलों को आपस में मिला कर हासिल किया। इन्हें आपस में मिलाने पर नई जातियां पैदा हुईं जो ज़्यादा पैदावार वाली हैं। इन बीजों की फसलों में बीमारी से लड़ने की ताकत भी ज़्यादा है।
‘वर्ल्ड फूड प्राइज़’
‘वर्ल्ड फूड प्राइज़’ यानि विश्व खाद्य पुरस्कार पहली बार साल 1987 में भारतीय वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन को दिया गया था। उन्होंने ज़्यादा उपजाऊ गेहूं और धान के बीजों की खोज की थी। उनके काम ने भारत में अनाज उत्पादन की नई लहर शुरू की थी।
यह पुरस्कार हर साल दुनिया के किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है जिनके काम का प्रभाव भुखमरी मिटाने या खाने की कमी जैसी समस्याओं से लड़ने में सहयोगी हो।