फिल्मः तीन
डायरेक्टरः रिभु दासगुप्ता
कलाकारः अमिताभ बच्चन, विद्या बालन, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सब्यसाची चक्रबर्ती
फिल्म की कहानी के केंद्र में अमिताभ बच्चन हैं। उन्होंने आठ साल पहले अपनी पोती को खो दिया था। बेशक समय बीतता है लेकिन अमिताभ की इंसाफ की आस नहीं छूटी है। आठ साल बाद जब एक और बच्चे के अपहरण का ऐसा ही मामला होता है तो पुलिस अफसर विद्या बालन और पुलिस अधिकारी से पादरी बने नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिल्म में आ जाते हैं, फिर अपराधी को पकड़ने के लिए तार जोड़ने लगते हैं।
फिल्म के खराब स्क्रीन प्ले और कछुआ गति की वजह से फिल्म परेशान करके रख देती है, क्योंकि सस्पेंस थ्रिलर की आत्मा ही उसकी गति होती है। फिर कलकत्ता की ट्राम और गलियां और माहौल तो हम वैसे भी काफी फिल्मों में देख ही चुके हैं।
अब एक्टिंग की बात करें तो 73 साल के बिग दादा के रोल में जमे हैं। उन्होंने इंसाफ के लिए तड़पते दादा के किरदार को बखूबी निभाया है। नवाज बतौर एक्टर वे अपनी छाप छोड़ना तो जानते ही हैं। विद्या बालन कहानी कर ही चुकी हैं और ‘कहानी-2‘ की शूटिंग हाल ही में पूरी की है। इसलिए फिल्म में जो मिला और जो उन्होंने किया सब ठीक है।
इस फिल्म में अमिताभ-नवाज-विद्या की तिकड़ी को देखना ठीक है। लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले, मिसिंग वाउ फैक्टर और धीमी गति वाली तीन दर्शकों से गहरा कनेक्शन बना पाएगी इसमें थोड़ा शक है।
रिपोर्ट- खबर लहरिया ब्यूरो